Table of Contents
- राम दरबार में ये है खास
- सूरत के कारोबारी ने आभूषण दिए दान
- राम दरबार और रामलला की मूर्तियों में अंतर
- इनकी भी हुई प्राण प्रतिष्ठा
Ram Darbar Pran Pratishtha: अयोध्या 22 जनवरी को रामलला के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. 5 जून को गंगा दशहरा के दिन प्रभु श्री राम का पूरा परिवार मंदिर में विराजमान हो गया. रामलाल के बाल रूप की मूर्ति जहां काले पत्थर से बनायी गई है. वहीं राम दरबार संगमरमर से बना है. राम सीता की मूर्ति एक पत्थर में तराशी गई हे. जबकि लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी अलग-अलग पत्थर से बने हैं. जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने सात महीने में ये मूर्तियां तैयार की हैं.
राम दरबार में ये है खास
भगवान राम और सीता की मूर्ति 4.5 फीट की है. लक्ष्मण और शत्रुघ्न 4.5 फीट के हैं. भरत और हनुमान तीन-तीन फीट के हैं. लक्ष्मण और शत्रुघ्न भगवान राम और माता सीता के पीछे स्थान दिया गया है. भरत और हनुमान भगवान राम के चरणों में बैठे दिखाए गए हैं. राम दरबार की मूर्तियां साढ़े तीन फीट के सिंहासन पर विराजमान हैं. राम दरबार में भी मूर्तियों के कपड़े और आभूषण बदले जाएंगे. हालांकि सभी मूर्तियों में रंगीन वस्त्र और आभूषण भी उकेरे गए हैं. मंदिर परिसर में स्थित अन्य देव विग्रहों शेषावतार, परकोटा के ईशान कोण पर शिव मंदिर, अग्निकोण में गणेशजी, दक्षिणी भुजा में हनुमानजी, नैऋत्य कोण में सूर्य देव, वायव्य कोण में मां भगवती और उत्तरी भुजा में अन्नपूर्णा माता की मूर्तियों की स्थापना की गई है.
सूरत के कारोबारी ने आभूषण दिए दान
राम दरबार की मूर्तियों के लिए सूरत के कारोबारी मुकेश पटेल ने हीरे, सोने-चांदी के आभूषण दान किए हैं. इसमें एक हजार कैरेट का हीरा, 30 किलो चांदी, 300 ग्राम सोना, 300 कैरेट रूबी से 11 मुकुट बनाए गए हैं. ये सभी आभूषण चार्टर्ड प्लेन से आयोध्या लाए गए. इससे पहले रामलला के आभूषण मंदिर ट्रस्ट ने बनवाए थे.
राम दरबार और रामलला की मूर्तियों में अंतर
राम दरबार में भगवान राम अयोध्या के राजा के रूप में विराजमान हैं. इसीलिए उनको राजसी रूप में दिखाया गया है. राम दरबार का स्वरूप धर्म, न्याय, मर्यादा और आदर्श राजतंत्र के रूप में प्रदर्शित किया गया है. वहीं राम लला की मूर्ति श्याम शिला या काले पत्थर से बनी है. इसे एक ही पत्थर से तराश करके बनाया गया है. मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इसे बनाया है. 51 इंच की मूर्ति का पत्थर करीब तीन अरब साल पुराना है. आने वाले हजारों सालों तक इस मूर्ति को कोई नुकसान नहीं होगा. इस मूर्ति के लिए शालिग्राम पत्थर नेपाल की गंडकी नदी से लाए गया थे. इन पत्थरों को देवशिला भी कहा जाता है और इनको भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है. मंदिर परिसर के गर्भगृह में मौजूद भगवान राम बाल स्वरूप में हैं.
इनकी भी हुई प्राण प्रतिष्ठा
- श्रीराम दरबार
- शिवलिंग
- गणपति
- हनुमानजी
- सूर्य देव
- देवी भगवती
- अन्नपूर्णा
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