Rana Sanga History: राणा सांगा ने बयाना के युद्ध में दी थी बाबर को मात

Rana Sanga History: राणा सांगा को महाराणा संग्राम सिंह के नाम से भी जाना जाता है. वह महाराणा प्रताप के दादा थे. 1508 में उन्होंने मेवाड़ की गद्दी मात्र 27 साल की उम्र में संभाली. सिर्फ एक हाथ और एक आंख होने के बावजूद उनकी बहादुरी में कोई कमी नहीं आई. बाबर को बयाना के युद्ध में उन्होंने हराया था.

By Amit Yadav | March 24, 2025 11:29 AM
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Rana Sanga History: संसद में राणा सांगा पर दिए गए एक बयान ने राजनीति में हलचल मचा दी है. इसमें राणा सांगा पर आरोप लगाया गया है कि वो बाबर को भारत लेकर आए थे. जबकि इस बात को लेकर इतिहासकार ही दो खेमों में बंटे हैं. इतिहास के पन्नों को खंगालें तो पता चलता है कि राणा सांगा महान योद्धा थे. वो मेवाड़ के शासक महाराणा रायमल बेटे थे. राणा सांगा तीन भाई थे. महाराणा रायमल ने ही उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. 1508 में वो मेवाड़ की सत्ता पर बैठे. उन्होंने 100 से अधिक लड़ाईयां लड़ी और जीत हासिल की. इन युद्धों के कारण ही उनके शरीर पर 80 से अधिक घाव थे.

राणा सांगा और बाबर के बीच पहला युद्ध

इतिहासकारों के अनुसार बाबर ने भारत पर आक्रमण करने के लिए 1503 में प्रयास शुरू किए थे. इसके बाद 1504, 1518 और 1519 में भी उसने भारत में घुसपैठ की कोशिश की. लेकिन सफल नहीं हुआ. 1526 में इब्राहीम लोदी के सूबेदारों के बुलावे पर वो पानीपत पहुंचा और यहां जीत हासिल की. जबकि राणा सांगा और बाबर के बीच पहला युद्ध 21 फरवरी 1527 को बयाना में हुआ था. इसमें बाबर की सेना को मुंह की खानी पड़ी थी. इस युद्ध का जिक्र बाबरनामा में भी है. इसके बाद मार्च 1927 में आगरा से 60 किलोमीटर दूर भरतपुर के खानवा में दोनों सेनाओं के बीच युद्ध हुआ. इसी युद्ध के दौरान राणा सांगा की आंख में एक तीर लगा और वो युद्ध क्षेत्र से दूर चले गए. इसके बाद राजपूत जीता हुआ युद्ध हार गए. महाराणा सांगा की 1528 में 46 साल की उम्र में मौत हो गई. राजपूत सरदारों पर ही उन्हें जहर देकर मारने का आरोप है.

बाबर को किसने बुलाया

इतिहासकार रवि भट्ट के अनुसार राणा सांगा ने बाबर को बुलाया या नहीं इसको लेकर मतभेद हैं. राणा सांगा ने बाबर को बुलाया, इसका उल्लेख बाबरनामा में हैं. वहीं कुछ इतिहासकार लिखते हैं कि बाबर ने राणा सांगा से संपर्क किया था. अलग-अलग इतिहासकार लिखते हैं कि दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी के रिश्तेदार ही उसे सत्ता से बेदखल करना चाहते थे. इसीलिए 1523 में इब्राहीम लोदी के भाई आलम खान, चाचा अलाउद्दीन और पंजाब के दौलत खान ने बाबर से संपर्क किया था. इनके बुलावे पर ही बाबर एक बार फिर भारत आया था. 1526 में उसने पानीपत की लड़ाई में इब्राहीम लोदी को हराया और दिल्ली की सत्ता पर कब्जा किया.

इब्राहीम लोदी को तीन बार हराया

इतिहास में दर्ज है कि राणा सांगा ने इब्राहीम लोदी को तीन बार युद्ध में हराया था. ऐसे उन्हें बाबर की मदद जरूरत क्यों थी. राणा सांगा उस दौरान इतने ताकतवर थे कि उन्हें किसी मदद की जरूरत नहीं थी. कई राजपूत शासकों के साथ मिलकर उन्होंने एक बड़ी गठबंधन तैयार किया था. 1526 में पानीपत के युद्ध में बाबर ने इब्राहीम लोदी को हराया था. इसी के साथ भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी थी. बाबर ने जब साम्राज्य विस्तार की नीति शुरू की तो उसके और राणा सांगा के बीच युद्ध शुरू हो गया. 1527 में बयाना में राणा सांगा ने बाबर की सेना को हराया था. इसके बाद मुगल सेना में राणा सांगा के नाम की दहशत हो गई थी.

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