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Story of Scotch Whisky : भारत और ब्रिटेन के बीच गुरुवार 24 जुलाई को ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता हुआ. इस समझौते के लागू होने के बाद भारत में कई चीजें सस्ती हो जाएंगी. सस्ती होने वाली चीजों में सबसे ज्यादा चर्चा जिस चीज की हो रही है वो है स्कॉच व्हिस्की. स्कॉच व्हिस्की पर भारत ने टैरिफ 150% से घटाकर 75% कर दिया और अगले 10 वर्षों में टैरिफ 40% कर दिया जाएगा. इस सूचना से स्कॉच के शौकीनों में खुशी है, लेकिन जो लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं, उनके लिए यह स्कॉच मात्र एक व्हिस्की है. कुछ हद तक यह बात सही भी है, लेकिन इस स्टोरी में जानिए स्कॉच की कहानी जो उसे अन्य व्हिस्की से अलग और खास बनाती है.
क्या है स्कॉच व्हिस्की का इतिहास
स्कॉटलैंड में व्हिस्की का निर्माण तो काफी समय से हो रहा है,लेकिन इसकी शुरुआत कहां से हुई इसपर विवाद है. व्हिस्की के बारे में जो लिखित प्रमाण मिलते हैं वो 1494 में स्कॉटिश एक्सचेकर रोल्स में मिलते हैं. एक्सचेकर रोल्स उस वक्त की सरकारी पुस्तिका को कहा जाता है है, जिसमें खर्च और आमदनी का रिकाॅर्ड दर्ज किया जाता था. इस पुस्तिका में जिक्र है कि फ्रायर जॉन कॉर को एक्वाविटे बनाने के लिए आठ बाॅल माल्ट दिया गया. उस समय एक्वाविटे शब्द का प्रयोग शराब के लिए किया जाता था, जो डिस्टिलेशन की प्रक्रिया से बनायी जाती थी. एक्वाविटे एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ होता है -‘जीवन का जल’.उस वक्त स्कॉटलैंड में शराब बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में अंगूर उपलब्ध नहीं होता था, तो जौ का प्रयोग होता था. माल्ट अंकुरित जौ को कहा जाता है. बाॅल अनाज को मापने की इकाई है. व्हिस्की का इतिहास तो काफी पुराना है,लेकिन स्कॉटलैंड में शराब बनाने की फैक्ट्री का सबसे पहला उल्लेख 1690 में मिलता है. उसके बाद एक्वाविटे का उत्पादन यहां बढ़ता गया. उस वक्त इसके औषधीय गुणों की भी चर्चा होती थी और यह कहा जाता था कि अगर इसे कम मात्रा में लिया जाए तो यह बुढ़ापे को रोक सकता है.
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कैसे बनाया जाता है स्कॉच व्हिस्की
स्कॉच व्हिस्की केवल स्कॉटलैंड में ही बन सकती है, क्योंकि इसको बनाने की प्रक्रिया बहुत अलग और जटिल है.स्कॉच व्हिस्की का निर्माण अंकुरित जौ से किया जाता है. अंकुरित जौ को गर्म पानी के साथ पिसा जाता है, उसके बाद उस मिश्रण को तीन साल तक ओक के पीपे में रखा जाता है. पीपा लकड़ी के ड्रम जैसा होता है, जिसमें हवा आ-जा सकती है.उसके बाद इसका डिस्टिलेशन किया जाता है. पहले मिश्रण को गर्म किया जाता है, फिर अल्कोहल भाप बनकर ऊपर उठता है, उसे ठंडा करके तरल में बदला जाता है और फिर उस शुद्ध अल्कोहल को जमा किया जाता है. यह प्रक्रिया पूरी तरह से रासायनिक क्रियाओं पर आधारित है. ओक की लकड़ी में तीन साल तक रहने पर इसमें एक अलग तरह की खुशबू आ जाती है. यही इसे अन्य व्हिस्की से अलग बनाती है.
स्कॉच व्हिस्की के औषधीय गुण
डिस्टिलेशन की तकनीक जैसे-जैसे बेहतर होती गई, एक्वा विटे का उत्पादन बढ़ता गया.साथ ही इसके औषधीय गुणों की भी चर्चा होने लगी. कहा जाता है कि इसे अगर सीमित मात्रा में लिया जाए, तो यह बुढ़ापे को धीमा कर देता है. साथ ही इससे पाचन बेहतर होता है. यह एनर्जी भी प्रदान करता है.यह प्राकृतिक रूप से एंटीबैक्टिरियल होता है और इसका स्वाद स्मोकी और फ्रूटी होता है.
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