Table of Contents
- सुप्रीम कोर्ट ने आज जो कुछ कहा, उसका अर्थ क्या है?
- सुप्रीम कोर्ट ने अभी अपना फैसला नहीं सुनाया है
- कोर्ट के आदेश के बाद क्या होगी स्थिति
- क्या है वक्फ बाय यूजर
Supreme Court Of India : ‘वक्फ बाय यूजर’ की व्यवस्था को फिलहाल सरकार हटा नहीं सकती है और ना ही वक्फ कौंसिल में अभी किसी भी तरह की नियुक्ति हो सकती है. यह विचार आज सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम 2025 में किए गए संशोधनों के खिलाफ दर्ज आपत्तियों पर सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को सात दिनों का समय देते हुए यह कहा है कि वह यह बताए कि वक्फ संशोधन अधिनियम पर जो आपत्तियां दर्ज की गई है, उसपर उनका क्या कहना है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज जो कुछ कहा, उसका अर्थ क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने आज जो कुछ कहा है उसका अर्थ समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि भारतीय संविधान में विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच कार्यों का बंटवारा किस तरह किया गया है. विधायिका को संविधान ने कानून बनाने का अधिकार दिया है, तो न्यायपालिका के पास यह अधिकार है कि वह उस कानून को रिव्यू करे, ताकि कोई भी ऐसा कानून देश में लागू ना हो, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ हो. यही वजह है कि जब चार अप्रैल को राज्यसभा से वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पास हुआ और उसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई, तो कुछ सांसद और संगठन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के पास यह अधिकार है कि वह विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों की समीक्षा करे. अपने इसी अधिकार का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट को जो कुछ प्रथम दृष्टया प्रतीत हुआ है उसके आधार पर कोर्ट ने अपना मंतव्य या राय प्रकट किया है, यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय नहीं है. सुप्रीम कोर्ट अपना निर्णय तब सुनाएगा, जब उसके पास केंद्र सरकार का जवाब होगा. यानी वफ्फ संशोधन अधिनियम के दोनों पक्षों की बात सुनकर ही कोर्ट कोई फैसला सुनाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अभी अपना फैसला नहीं सुनाया है
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वक्फ अधिनियम 2025 पर आई आपत्तियों पर अपना जवाब 7 दिनों के अंदर दाखिल करने को कहा है, इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि कोर्ट ने अभी अपना फैसला नहीं सुनाया है. कोर्ट ने अपनी राय दी है और कहा है कि वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था को अधिनियम से नहीं हटाया जाना चाहिए क्योंकि 14वीं-15वीं शताब्दी में बने मस्जिदों की डीड उपलब्ध कराना संभव नहीं है. साथ ही कोर्ट ने कौंसिल में नई नियुक्तियों को भी अभी रोकने की बात कही है. कोर्ट के इस आदेश के बारे में विस्तार से समझाते हुए झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता अवनीश रंजन मिश्रा ने बताया कि आज सुप्रीम कोर्ट ने जो कुछ कहा है वह उनका आदेश नहीं है, बल्कि उनका विचार है. शीर्ष कोर्ट को प्रथम दृष्टया यह लगा है कि अगर वक्फ बाय यूजर को हटा दिया जाए तो यह सही नहीं होगा, तो उन्होंने अपनी राय दी है, यह आदेश नहीं है. कोर्ट अब केंद्र सरकार के जवाब को देखेगा, उसके बाद भी अगर कोर्ट को लगेगा कि वक्फ बाय यूजर के प्रावधान को हटाया जाना चाहिए तो वह आदेश जारी करेगा.
कोर्ट के आदेश के बाद क्या होगी स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार के अपने फैसले में वक्फ बाय यूजर को बरकरार रखने की बात कही है. इसपर अधिवक्ता अवनीश रंजन मिश्रा बताते हैं कि कोर्ट अगर इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आदेश जारी कर देता है, तो यह मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है, क्योंकि कोर्ट के आदेश को मानने के लिए केंद्र सरकार बाध्य है, तबतक,जबतक कि विधायिका विधायी प्रकिया से कोई नया कानून ना पारित कर दे, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ऊपर हो जाए. जैसा कि शाहबानो प्रकरण में हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि शाहबानो को गुजारा भत्ता दिया जाना चाहिए, लेकिन इस आदेश को विधायिका ने नया कानून बनाकर निरस्त कर दिया था.
क्या है वक्फ बाय यूजर
वक्फ अधिनियम 2025 में वक्फ बाय यूजर के प्रावधान को हटा दिया गया है. पुराने कानून में यह व्यवस्था थी कि अगर किसी संपत्ति को यूजर लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है, तो वह उसे बिना दस्तावेज के भी वक्फ कर सकता है. चूंकि 2025 के संशोधन में इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है और कहा जा रहा है कि पुराने मस्जिदों और कब्रिस्तानों की सेल डीड कहां से लाई जाएगी.
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