Table of Contents
- कौन थीं तारकेश्वरी सिन्हा
- तारकेश्वरी की सुंदरता के चर्चे होते थे
- अपनी प्रतिभा के दम पर तारकेश्वरी ने राजनीति में बनाई जगह
- इंदिरा गांधी के साथ तनावपूर्ण संबंधों की भी हुई चर्चा
- वाकपटु और बेबाक थीं तारकेश्वरी सिन्हा
Tarakeswari Sinha : बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसकी वजह से राजनीतिक चर्चाओं का दौर जारी है. बिहार की राजनीति में कब-कब क्या-क्या हुआ और कौन पड़ा था किस पर भारी. इन चर्चाओं के बीच एक नाम की चर्चा गाहे-बगाहे हो ही जाती है और वो है जवाहरलाल नेहरु की सरकार में वित्त मंत्रालय में उपमंत्री रहीं तारकेश्वरी सिन्हा की. तारकेश्वरी सिन्हा को ‘ग्लैमर गर्ल ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स’ या संसद सुंदरी की संज्ञा दी जाती थी.
कौन थीं तारकेश्वरी सिन्हा
1952 में जब देश में पहली बार चुनाव हुआ तो पटना ईस्ट लोकसभा क्षेत्र से तारकेश्वरी सिन्हा पहली बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं. उस वक्त वो देश की सबसे युवा सांसद थीं और उनकी उम्र महज 26 वर्ष थीं. तारकेश्वरी सिन्हा बिहार की ऐसी युवा नेता थीं, जिन्होंने अपने बूते राजनीति में अपनी जगह बनाई थी. वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती थीं और उनके पिता एक सर्जन थे. तारकेश्वरी सिन्हा की शिक्षा-दीक्षा काॅन्वेंट स्कूल में हुई थी और उन्होंने लंदन स्कूल आॅफ इकोनाॅमिक्स से एमएससी की पढ़ाई की थी. उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाई. वे लगातार चार चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं. 1952 में उन्होंने पटना ईस्ट सीट से चुनाव लड़ा था, जबकि 1957, 1962 और 1967 में बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं थीं.
तारकेश्वरी की सुंदरता के चर्चे होते थे
तारकेश्वरी सिन्हा बहुत खूबसूरत महिला थीं और उन्हें सजने-संवरने का शौक भी था, इसकी वजह से उनकी खूबसूरती की खूब चर्चा होती थीं. इंदिरा गांधी की आत्मकथा लिखने वाली लेखिका Katherine Frank की किताब Indira: The Life of Indira Nehru Gandhi में उन्हें ‘ग्लैमर गर्ल ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स’की संज्ञा दी गई है.
अपनी प्रतिभा के दम पर तारकेश्वरी ने राजनीति में बनाई जगह
तारकेश्वरी सिन्हा की खूबसूरती की चर्चा अलग बात है, लेकिन सच्चाई यह है कि वो एक बेहतरीन राजनेता थीं. उन्होंने ना सिर्फ महिला अधिकारों के लिए काम किया, बल्कि चार बार सांसद भी बनीं. वो पहली महिला नेत्री थीं, जिन्होंने 1958 से 1964 तक वित्त मंत्रालय में काम किया. वो भी उस दौर में जब बिहार जैसे राज्य में महिलाओं की उपस्थिति राजनीति में बहुत कम थीं.
इंदिरा गांधी के साथ तनावपूर्ण संबंधों की भी हुई चर्चा
तारकेश्वरी सिन्हा और इंदिरा गांधी के रिश्तों के बारे में यह कहा जाता है कि उनके रिश्ते बहुत सामान्य नहीं थे. इसकी वजह में कई तरह के गाॅसिप हैं, लेकिन उनके प्रमाण कहीं मिलते नहीं हैं. वहीं जब सच्चाई की ओर रुख करते हैं, तो पाते हैं कि जबतक तारकेश्वरी सिन्हा राजनीति में सक्रिय रहीं, इंदिरा गांधी ने उन्हें कांग्रेस का टिकट दिया चाहे वो चुनाव हारीं या जीतीं. यहां तक कि इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में भी इंदिरा गांधी ने तारकेश्वरी सिन्हा को बेगूसराय से टिकट दिया था, भले ही वो चुनाव जीत ना सकीं.
वाकपटु और बेबाक थीं तारकेश्वरी सिन्हा
तारकेश्वरी सिन्हा की शिक्षा विदेश में हुई थी, इसलिए वो खुले विचारों वाली महिला थीं. उनके बारे में यह चर्चा आम है कि संसद में वो बेबाकी से अपनी राय रखती थीं और वाकपटु महिला थीं. राममनोहर लोहिया के साथ तो उनकी बहस की खूब चर्चा भी होती है. 1978 के बाद तारकेश्वरी सिन्हा ने राजनीति से एक तरह से संन्यास ले लिया और समाजसेवा में जुट गई. उनका निधन 2007 में हुआ था.
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