Tsunami : रूस के सुदूर पूर्वी तट पर 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आने के बाद प्रशांत महासागर के पार के देशों के लिए सुनामी की चेतावनी जारी की गई . भूकंप से रूस के कुरील द्वीप समूह, जापान के बड़े उत्तरी द्वीप होक्काइडो और हवाई तट के तटीय क्षेत्रों में भी सुनामी की स्थिति उत्पन्न हो गई. इंडोनेशिया और फिलीपींस ने भी सुनामी की चेतावनी जारी की है. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार सुनामी की लहरें कैलिफोर्निया के तटों पर उठनी शुरू हो गई हैं. इस स्थिति में अमेरिका ने भी बचाव की तैयारी शुरू कर दी है. सुनामी का प्रभाव बहुत भयंकर होता है और इसका उदाहरण मानव जाति को 2004 में मिल गया था जब इंडोनेशिया में आए भयंकर सुनामी की वजह से दो लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी.
क्या होता है सुनामी?
सुनामी का शाब्दिक अर्थ होता है बंदरगाह पर उठने वाली लहरें. सुनामी एक जापानी भाषा का शब्द है. सुनामी तब आता है जब समुद्र के अंदर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या भूस्खलन की घटना होती है. इसका परिणाम यह होता है कि समुद्र में तेज लहरें उठने लगती है. साथ ही ये लहरें बहुत तेज गति से किनारे की ओर जाती हैं, जिसकी वजह से किनारे पर बसे नगरों और लोगों को नुकसान होता है. लहरें इतनी ऊंची और तेज होती हैं कि इसके प्रभाव में आने वाले लोग अपनी जान नहीं बचा पाते हैं, साथ ही संपत्ति का भी उतना ही नुकसान होता है. सुनामी भी भूकंप की तरह एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसकी भविष्यवाणी संभव नहीं है. चूंकि सुनामी का कनेक्शन समुद्र के अंदर आने वाले भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट से होता है इसलिए जब ये घटनाएं हो जाती हैं, तब सुनामी की चेतावनी जारी की जाती है. वैज्ञानिक समुद्र में लगे सेंसर के जरिए पानी के दबाव में होने वाले बदलाव को देखकर सुनामी की चेतावनी जारी करते हैं. Deep ocean Assessment and Reporting of Tsunamis के जरिए पानी के दबाव की जानकारी प्राप्त की जाती है और फिर चेतावनी जारी होती है. समुद्र में लगे सेंसर जो पानी के दबाव में बदलाव से सुनामी की पहचान करते हैं. सिस्मिक सेंसर समुद्र के नीचे भूकंप का पता लगाते हैं और सैटेलाइट के जरिए लहरों की गति और ऊंचाई को मापा जाता है.
भूकंप क्या है?
पृथ्वी की सबसे ऊपर परत (क्रस्ट) में मौजूद अधिकांश दरारें अमूमन हिलती नहीं हैं, लेकिन कई बार टेक्टोनिक बल या फोर्स की वजह से दरारों के दोनों तरफ की चट्टानें धीरे-धीरे विकृत होने लती है. जब भूमिगत चट्टान अचानक टूटती है और उसकी गति तेज होती है,तो भूकंप आता है.भूमिगत चट्टानों के टूटने से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो पृथ्वी की ऊपर परत यानी क्रस्ट को कंपा देती है. पृथ्वी तबतक कांपती है जबतक कि टूटने वाली चट्टानें हिलती रहती हैं, जब टूट के बाद चट्टानें फिर कहीं पर अटक जाती है, तो धरती का कंपन बंद हो जाता है. टेक्टोनिक बल पृथ्वी के अंदर उत्पन्न होने वाला बल है, जो पृथ्वी की ऊपर क्रस्ट को टेढ़ा करता है और उसे खंडित करता है या तोड़ता है. यह बल पृथ्वी की क्रस्टल प्लेटों की गति से उत्पन्न होता है. इसकी वजह से भूकंप, पर्वत निर्माण और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाएं होती हैं. जब भूकंप आता है तो उसका फोकस या हाइपोसेंटर (Hypocenter) उस स्थान को कहते हैं, जहां चट्टान पहली बार टूटती है. एपिसेंटर (Epicenter) धरती का वो हिस्सा होता है, जो फोकस एरिया के ठीक ऊपर होता है.
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भूकंप और सुनामी में फर्क
भूकंप और सुनामी दोनों ही प्राकृतिक आपदाएं हैं और इनका प्रभाव व्यापक होता है. इनमें फर्क ये है कि एक धरती के नीचे उत्पन्न होता है, जबकि दूसरा समुद्र के नीचे.
जमीन के ऊपरी परत के नीचे जब चट्टानें अचानक टूटती हैं और प्लेटें खिसकती हैं, तो धरती के ऊपरी सतह पर तेज झटके महसूस किए जाते हैं, यह भूकंप है. वहीं सुनामी वह है जिसमें समुद्र के नीचे भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या भूस्खलन होता है, जिसकी वजह से समुद्र में काफी तेज लहरें उठती हैं और किनारों की ओर तेजी से बढ़ती हैं. भूकंप और सुनामी दोनों में ही जानमाल का भारी नुकसान होता है. भूकंप को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है, जबकि सुनामी को लहरों की ऊंचाई से सैटेलाइट के जरिए मापा जाता है. सुनामी में बाढ़ या जलप्रलय जैसी स्थिति होती है जबकि भूकंप में इमारतों का गिरना, पुल टूटना, पेड़ गिरना जैसी घटनाएं होती हैं.
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