Table of Contents
Weather Report : भारत में आमतौर पर 6 ऋतुएं होती हैं, लेकिन विगत कुछ वर्षों से मौसम का पैटर्न तेजी से बदला है. साल 2025 में मई के महीने में तेज बारिश और आंधी -तूफान से बाढ़ की स्थिति कई राज्यों में बन गई है. बेंगलुरु में 5 लोगों की मौत हुई है. आखिर क्यों मई के महीने में गर्मी की बजाय आम आदमी बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर है.
मई में गर्मी के बजाय आफत की बारिश
बेंगलुरू में पिछले 36 घंटों में हुई आफत की बारिश की वजह से 5 लोगों की मौत हुई है, वहीं उत्तराखंड में भूस्खलन हुआ है. झारखंड और बिहार में भी आंधी-तूफान के साथ भारी बारिश की वजह से पिछले दो-तीन दिन में 10 लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले कुछ दिनों से असामान्य मौसम की जो घटनाएं सामने आई हैं, उसके पीछे जलवायु परिवर्तन, पश्चिमी विक्षोभों की दिशा में बदलाव और समुद्री तापमान में वृद्धि प्रमुख कारण है. पर्यावरणविद सीमा जावेद बताती हैं कि 2025 में वसंत ऋतु आया ही नहीं. सर्दी के बाद सीधे गर्मी की शुरुआत हो गई. मौसम में यह बदलाव कई दृष्टिकोण से खतरनाक है. मौसम में इस तरह के बदलाव से किसानों को परेशानी होती है. कई तरह के फल और सब्जियां अब बाजार में नजर नहीं आती है. जाड़े के बाद सीधे गर्मी का मौसम. इसकी वजह से आफत की बारिश हो रही है. बारिश होती तो है, लेकिन उस बारिश का कोई फायदा आम आदमी को मिलने वाला नहीं है. इस तरह की बारिश कम समय के लिए होती है, जिससे पानी बर्बाद होता है. ग्राउंड वाटर रिचार्ज नहीं हो पाता है और वाटर हार्वेस्टिंग की कोई सुविधा हमारे पास है नहीं.
क्यों बढ़ रही है आफत की बारिश
कुछ साल पहले तक जब बारिश होती थी, तो मौसम खुशनुमा हो जाता था, लेकिन अब परिस्थिति बदल चुकी है. अब बारिश होती है, तो बाढ़ आती है, वज्रपात से मौत होती है. ओलावृष्टि से फसल का नुकसान होता है. इस संबंध में सीमा जावेद बताती हैं कि बढ़ते तापमान की वजह से वातावरण की नमी धारण करने की क्षमता बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से आफत की बारिश हो रही है. नेपाल में याला ग्लेशियर समाप्त हो गया. इस ग्लेशियर को मृत घोषित कर दिया गया है, यह ग्लोबल वार्मिंग का असर है. अब स्थिति यह हो गई है कि मौसमी फल और फसल नहीं उग रहे हैं, जिसकी वजह से किसान जीविका के लिए दूसरे अनाज और फसल पर शिफ्ट हो रहे हैं, यह ना सिर्फ हमारे फूड हैबिट को बदल रहा है बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है. खान-पान में बदलाव को इतनी सहजता से स्वीकार करना मुश्किल है. मौसम के पैटर्न में जिस तेजी से बदलाव देखा जा रहा है, आने वाली पीढ़ी को पेयजल का गंभीर संकट देखना पड़ सकता है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं और नदियां सिकुड़ रही हैं. हीटवेव और हवाओं की दिशा बदलने से आजकल कम समय में अधिक वर्षों होती है, जो बाढ़ की स्थिति को उत्पन्न करता है. साथ ही पहाड़ी राज्यों में लैंडस्लाइड की घटनाएं भी बढ़ रही हैं.
Also Read : शशि थरूर राष्ट्रीय हित के मुद्दे पर सरकार के साथ, कांग्रेस में बेचैनी; ये है पूरी कहानी
पाकिस्तान में बलात्कार पीड़िताओं को देनी होती थी 4 पुरुषों की गवाही, वरना मिलती थी 100 कोड़े की सजा
अहमदिया मुसलमानों को पाकिस्तानी नहीं मानते मुसलमान, खत्म करना चाहते हैं उनका अस्तित्व
इमरान खान से पहले पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो को दी गई थी जेल में यातना, फिर फांसी
हिंदू और मुसलमान के बीच भारत में नफरत की मूल वजह क्या है?
विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें
जब शिबू सोरेन ने कहा था- हमें बस अलग राज्य चाहिए
संताल आदिवासी थे शिबू सोरेन, समाज मरांग बुरू को मानता है अपना सर्वोच्च देवता
शिबू सोरेन ने अलग राज्य से पहले कराया था स्वायत्तशासी परिषद का गठन और 2008 में परिसीमन को रुकवाया
Dictators and his Women 1 : हिटलर अपनी सौतेली भांजी के लिए था जुनूनी, ईवा ब्राउन से मौत से एक दिन पहले की शादी