Table of Contents
Roasting In Comedy : जब आपके सामने रोस्टिंग शब्द आता है, तो आप उसके क्या मायने समझते हैं? अगर आप किसी चीज को आग में पकाने को ही सिर्फ रोस्टिंग समझते हैं, तो आप गलती कर रहे हैं, क्योंकि रोस्टिंग का एक अर्थ यह भी है कि आप किसी की उसके सामने भारी बेइज्जती कर दें.
क्या है रोस्टिंग?
जैसा कि हम सब जानते हैं रोस्टिंग की प्रक्रिया सीधे आग में पकाने को या अत्यधिक हीट के साथ किसी चीज को पकाने को कहा जाता है. आजकल रोस्टिंग काॅमेडी शो का हिस्सा बन गया है, जिसमें किसी विशेष मेहमान को बुलाकर उसकी इतनी बेइज्जती की जाती है कि वह उत्तेजित होकर हीट कमेंट करे. इसे मजा–मस्ती के तौर पर देखा जाता है. रोस्टिंग काॅमेडी किसी व्यक्ति के धैर्य की भी परीक्षा है कि वह कितनी बातों को पचा सकता है और सामने वाले को यह सोचने पर मजबूर कर दे कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. यूट्यूब कल्चर में रोस्टिंग शो खूब चर्चित हैं और इन्हें देखने वालों की संख्या लाखों और करोडों में है.
कब और कहां हुई रोस्टिंग की शुरुआत?
रोस्टिंग की शुरुआत अमेरिका से हुई है. यहां किसी व्यक्ति को अपमानित करने के लिए हास्य की इस शैली का प्रयोग किया जाता था. इस कार्यक्रम में जिसे रोस्ट किया जाता है, वह अपने प्रशंसकों और मित्रों केस होता है और रोस्टमास्टर यानी कार्यक्रम का संचालक उसे अपमानित करने की कोशिश करता है. वह उसपर इस तरह के इल्जाम और लगाता है, जिसका जवाब देना रोस्ट होने वाले के लिए बहुत कठिन हो. उम्मीद यह की जाती है कि वह व्यक्ति इसे अपमान की तरह नहीं बल्कि हास्य की तरह लेगा. कहा तो यह जाता है कि सबसे पहली बार रोस्ट शो 1949 में न्यूयार्क में आयोजित किया गया था, जिसमें फ्रांसीसी गायक मौरिस शेवेलियर शामिल हुए थे. इंटरनेट के युग में रोस्ट शो चल रहे हैं और इसे देखने वालों की संख्या भी बहुत है.
रोस्टिंग शो क्यों है विवादों में
यूट्यूबर समय रैना के शो इंडियाज गॉट लेटेंटमें एक दूसरे यूट्यूबर रणबीर इलाहाबादिया ने बहुत ही असहज करने वाली और अशोभनीय टिप्पणी कर दी, जिसकी वजह से यह शो विवादों में है. एफआईआर दर्ज हो चुका है और दोनों ही यूट्यूबर समय रैना और रणबीर इलाहाबादिया परेशानी में हैं. इनके खिलाफ आईटी एक्ट में मामला दर्ज हुआ है और महिला आयोग ने इन्हें तलब भी किया है. शो में आपत्तिजनक और निम्नस्तर की टिप्पणी के बाद रोस्टिंग शो के अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं और सब यही कह रहे हैं कि रोस्टिंग शो की कोई मर्यादा नहीं है और यह काॅमेडी के नाम पर फूहड़ कंटेंट परोस रहा है, जो समाज को गलत दिशा देगा.
इसे भी पढ़ें : सवसार से सरना धर्म कोड तक, जानें क्या है मुंडा समाज में धर्म के मायने
विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें
जब शिबू सोरेन ने कहा था- हमें बस अलग राज्य चाहिए
संताल आदिवासी थे शिबू सोरेन, समाज मरांग बुरू को मानता है अपना सर्वोच्च देवता
शिबू सोरेन ने अलग राज्य से पहले कराया था स्वायत्तशासी परिषद का गठन और 2008 में परिसीमन को रुकवाया
Dictators and his Women 1 : हिटलर अपनी सौतेली भांजी के लिए था जुनूनी, ईवा ब्राउन से मौत से एक दिन पहले की शादी