Ashadha Amavasya 2025: पितरों की शांति के लिए आषाढ़ अमावस्या पर करें ये उपाय

Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या पर पितरों की शांति और पितृ दोष निवारण के लिए यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है. 25 जून को पड़ने वाली इस अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान, दान और विशेष उपायों से पूर्वजों को प्रसन्न किया जा सकता है. जानें इस दिन के खास धार्मिक उपाय.

By Shaurya Punj | June 17, 2025 1:11 PM
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Ashadha Amavasya 2025: ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है जो तब उत्पन्न होती है जब पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट रहती है, जिससे वंशजों के जीवन में रुकावटें, रोग, आर्थिक संकट और संतान-सुख में बाधाएं उत्पन्न होती हैं. आषाढ़ अमावस्या के दिन प्रातःकाल स्नान करके गंगाजल, तिल और कुश मिलाकर पितरों को जल अर्पित करना चाहिए. इस क्रिया को ‘तर्पण’ कहा जाता है. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ‘ॐ पितृभ्यः नमः’ मंत्र का उच्चारण करते हुए जल चढ़ाना अति पुण्यकारी होता है. यदि संभव हो तो किसी पवित्र तीर्थ स्थान या नदी में जाकर पिंडदान करना श्रेष्ठ रहता है.

कब है आषाढ़ अमावस्या

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि इस वर्ष 24 जून की शाम 7 बजे आरंभ होकर 25 जून को शाम 4:02 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आषाढ़ अमावस्या 25 जून 2025, दिन बुधवार को मनाई जाएगी. इसी दिन पितृ कार्य जैसे तर्पण, पिंडदान, स्नान और दान करना पूर्ण रूप से शुभ और फलदायी माना जाएगा. चूंकि 25 जून को सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि विद्यमान रहेगी, इसलिए सभी धार्मिक अनुष्ठान और पितृ कर्म इसी दिन करना शास्त्र सम्मत रहेगा.

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आषाढ़ अमावस्या पर पितृ दोष करें ऐसे दूर

  • इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना, वस्त्र और दक्षिणा का दान करना भी पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए लाभकारी माना गया है. यदि श्राद्ध न कर सकें तो किसी निर्धन, वृद्ध अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं. काले तिल, सफेद वस्त्र, गुड़, चावल, लौंग और इलायची का दान भी शुभ माना जाता है.
  • घर में पितरों के प्रतीक रूप में दीपक जलाकर ‘ॐ पितृदेवाय नमः’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें. साथ ही, अमावस्या या शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा, उस पर जल अर्पण और दीपदान करना पितृ दोष को शांति देने वाला माना गया है.
  • नियमपूर्वक अमावस्या तिथियों पर ये सरल उपाय करने से पितृ दोष का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है. आषाढ़ अमावस्या इन उपायों के लिए अत्यंत शुभ अवसर है.
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