Ashadha Gupt Navratri 2025 Date: गुप्त नवरात्रि 2025 की होने वाली है शुरूआत, जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि

Ashadha Gupt Navratri 2025 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 26 जून 2025 से शुरू हो रही है. यह विशेष साधना का पर्व होता है जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की गुप्त रूप से पूजा होती है. जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

By Shaurya Punj | June 24, 2025 8:58 AM
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Ashadha Gupt Navratri 2025 Date: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. साल में कुल चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिसमें दो सार्वजनिक (शारदीय और चैत्र) और दो गुप्त नवरात्रियां होती हैं. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की साधना गोपनीय तरीके से की जाती है. इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार को होगी. नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी. प्रत्येक दिन देवी के विभिन्न स्वरूपों की आराधना की जाती है. आइए जानते हैं कि इस वर्ष गुप्त नवरात्रि कब से शुरू हो रही है, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा की विधि क्या है.

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब है?

साल 2025 में आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 26 जून, गुरुवार से हो रही है और इसका समापन 4 जुलाई, शुक्रवार को होगा. इस बार नवरात्रि का पर्व पूरे 9 दिनों तक मनाया जाएगा, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष साधना की जाएगी.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

गुप्त नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा तिथि से हो रही है, जो इस बार विशेष रूप से शुभ मानी जा रही है क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. यह योग सुबह 8:46 बजे से लेकर अगले दिन 27 जून को सुबह 5:31 बजे तक रहेगा. इस योग में किए गए कार्य सफल और फलदायी माने जाते हैं.

घटस्थापना (कलश स्थापना) का शुभ मुहूर्त

गुप्त नवरात्रि 2025: पूजा विधि

गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि विशेष रूप से अनुशासित और श्रद्धा से की जाती है. सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएं. फिर नवरात्रि पूजा की सभी आवश्यक सामग्रियों को एकत्र करें.

मूर्ति स्थापना और जौ बोना

मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल वस्त्र से सजाएं. एक मिट्टी के पात्र में जौ (चने) के बीज बोकर उसे पूजा स्थल पर रखें. नवमी तक प्रतिदिन उसमें जल का छिड़काव करें.

कलश स्थापना विधि

  • शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें.
  • सबसे पहले कलश को गंगाजल से भरें.
  • इसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और ऊपर नारियल रखें.
  • फिर कलश को लाल कपड़े में लपेटें और कलावे से बांधें.
  • अब इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के पास रखें.

दुर्गा पूजन और साधना

  • फूल, अगरबत्ती, दीप, कपूर आदि से मां दुर्गा की पूजा करें.
  • नौ दिनों तक दुर्गा माता के मंत्रों का जाप करें और उन्हें नित्य भोग अर्पित करें.
  • हर दिन माता के एक-एक रूप की आराधना करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें.

कन्या पूजन

  • अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को आमंत्रित करें. उन्हें पूजा कर आदरपूर्वक भोजन कराएं.
  • पूड़ी, चने और हलवे का भोग लगाकर प्रसाद रूप में कन्याओं को अर्पित करें.

घट विसर्जन और समापन

  • नवरात्रि के अंतिम दिन (नवमी या दशमी) मां दुर्गा की पूर्ण विधि से पूजा करें.
  • आरती करके फूल, अक्षत (चावल) चढ़ाएं और मंत्रोच्चार के साथ कलश को विसर्जित करें.
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