– आवश्यक सामग्री
मिट्टी का कलश (या तांबे/पीतल का)
जौ या सप्तधान्य (अंकुरण हेतु)
लाल वस्त्र, मौली, नारियल
गंगाजल, अक्षत, सुपारी, पान, लौंग, इलायची
देवी की मूर्ति या चित्र
दीपक, धूप, कपूर, घी
देवी मंत्र व पाठ पुस्तक (दुर्गा सप्तशती या श्री दुर्गा चालीसा)
– कलश स्थापना विधि
- स्नान ध्यान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें.
- घर के पूजन स्थान को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें.
- पीले या लाल कपड़े पर चौकी बिछाएं.
- मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और उसके मध्य में कलश स्थापित करें.
- कलश में गंगाजल, एक सुपारी, अक्षत, फूल, सिक्का और दुर्गा यंत्र डालें.
- कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और नारियल बांधकर ऊपर रखें.
- कलश पर मौली बांधें और उसे देवी शक्ति का प्रतीक मानकर प्रणाम करें.
– देवी पूजन विधि
- ‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र का जाप करें.
- दुर्गा सप्तशती पाठ करें (कवच, अर्गला, कीलक, 13 अध्याय).
- नैवेद्य, पुष्प, धूप, दीप से अर्चना करें.
- रोजाना दीपक जलाएं और मंत्रों से आराधना करें.
– विशेष सावधानियां
- साधना गुप्त रखें, किसी को न बताएं.
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गुप्त नवरात्रि आत्मिक और तांत्रिक साधना का श्रेष्ठ अवसर है. इसे शुद्धता, श्रद्धा और नियमपूर्वक करने पर देवी कृपा और सिद्धि निश्चित प्राप्त होती है.