Atmaon Ka Khana:क्या आत्माएं भी भूखी होती हैं, जानिए प्रेतों का रहस्यमय भोजन क्या है

Atmaon Ka Khana: हिंदू शास्त्रों में आत्माओं और प्रेतों को लेकर कई रहस्यमय बातें कही गई हैं. कहा जाता है कि मृत्यु के बाद भी कुछ आत्माएं भूखी रहती हैं और खास तरह के सूक्ष्म भोजन की आवश्यकता होती है. जानिए आत्माओं का भोजन क्या होता है और कैसे पिंडदान उन्हें शांति देता है.

By Shaurya Punj | July 21, 2025 5:35 PM
an image

Atmaon Ka Khana: हिंदू धर्म के पुराणों और ग्रंथों में अनेक लोकों का वर्णन मिलता है – जैसे स्वर्गलोक, मृत्युलोक, पाताललोक. इन सबके बीच एक रहस्यमय लोक और है, जिसे प्रेत लोक कहा गया है. यह न तो पूर्णतः मृत आत्माओं का लोक है, न ही जीवितों की दुनिया – बल्कि उन आत्माओं का क्षेत्र है जो कहीं बीच में अटक गई हैं. इन्हीं को प्रेत कहा जाता है.

प्रेत कौन होते हैं?

प्रेत वे आत्माएं होती हैं जो मृत्यु के बाद भी अपनी यात्रा पूरी नहीं कर पातीं. उनकी मुक्ति किसी अधूरे कर्म, अकाल मृत्यु, गलत अंतिम संस्कार या आत्महत्या जैसे कारणों से रुक जाती है. ऐसी आत्माएं मोह, क्रोध या अपूर्ण इच्छाओं के कारण प्रेत योनि में फंसी रह जाती हैं. ये आत्माएं अक्सर अप्रत्यक्ष रूप से उपस्थित रहती हैं – कभी वातावरण में अजीब हरकतों, भय, या सपनों के माध्यम से संकेत देती हैं.

नाग पंचमी पर शिवलिंग पर चढ़ाए ये चीजें, काल सर्प दोष से होगी मुक्ति 

क्या होता है प्रेतों का भोजन?

चूंकि प्रेतों के पास भौतिक शरीर नहीं होता, इसलिए वे सामान्य भोजन नहीं कर सकते. लेकिन हिंदू शास्त्र, विशेषकर गरुड़ पुराण, में बताया गया है कि वे सूक्ष्म ऊर्जा से पोषण प्राप्त करते हैं. उनके भोजन के रूप होते हैं:

पिंडदान और श्राद्ध का अन्न

श्राद्ध में अर्पित भोजन, जल और तर्पण सूक्ष्म रूप में प्रेत आत्माओं तक पहुंचते हैं. इन्हीं से उन्हें तृप्ति मिलती है. यही उनकी प्राथमिक “भोजन व्यवस्था” मानी जाती है.

भावना और मानसिक ऊर्जा

यदि कोई आत्मा किसी व्यक्ति से गहरा जुड़ाव रखती है, तो वह उसकी भावनाओं, विशेष रूप से दुख, डर और पीड़ा से ऊर्जा खींच सकती है. इसीलिए कहा जाता है कि बार-बार रोने या भयभीत होने से आत्मा और अधिक सक्रिय हो सकती है.

नकारात्मक और तामसिक वातावरण

प्रेत आत्माएं उन स्थानों पर अधिक सक्रिय होती हैं जहां क्रोध, तामसिक आहार, मांस-मदिरा या तंत्र-मंत्र की क्रियाएं होती हैं. ऐसे वातावरण से उन्हें आवश्यक ऊर्जा मिलती है.

तांत्रिक भोग

कुछ विशेष तांत्रिक विधियों में प्रेत आत्माओं को वश में करने हेतु उन्हें मंत्र-सिद्ध भोग, रक्त मिश्रित प्रसाद या अन्य रहस्यमय सामग्री अर्पित की जाती है. यह प्रायः रात, श्मशान या सुनसान जगहों पर किया जाता है.

प्रेत आत्माएं अधूरी इच्छाओं और अपूर्ण कर्मों के कारण इस लोक और परलोक के बीच फंसी होती हैं. उनका “भोजन” ऊर्जा, श्रद्धा और भावना से जुड़ा होता है, न कि स्थूल वस्तुओं से. हिंदू परंपरा में पिंडदान और श्राद्ध कर्मों को इसलिए अत्यधिक महत्व दिया गया है – ताकि ऐसी आत्माओं को तृप्त किया जा सके और वे अपनी अगली यात्रा की ओर बढ़ सकें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version