Baisakhi 2025: बैसाखी, जिसे वैशाखी या वैसाखी के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है.वर्ष 2025 में यह पर्व रविवार, 13 अप्रैल को मनाया जा रहा है. यह दिन कृषि और मौसम के बदलाव का प्रतीक होने के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है.
बैशाखी और सांस्कृतिक महत्व
बैशाखी का त्योहार मुख्य रूप से रबी फसल की कटाई के अवसर पर मनाया जाता है. किसान इस दिन को अपनी मेहनत का फल प्राप्त करने के रूप में मानते हैं और ईश्वर का आभार व्यक्त करते हैं. खेतों में नई फसलें खिल उठती हैं, और चारों ओर खुशी और उत्साह का माहौल बन जाता है. गांवों में मेले आयोजित होते हैं, लोक नृत्य जैसे भांगड़ा और गिद्दा का प्रदर्शन किया जाता है, और लोग पारंपरिक परिधान में सजे होते हैं.
बैशाखी का धार्मिक महत्व
बैशाखी का धार्मिक महत्व भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. 1699 में इसी दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. उन्होंने पांच प्यारों को अमृत पान करवा कर उन्हें खालसा पंथ में शामिल किया और समानता, साहस तथा धर्म की रक्षा के सिद्धांतों को स्थापित किया.इस कारण बैशाखी सिख धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र और ऐतिहासिक दिन बन गया है. गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, लंगर और नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है.
बैशाखी से संबंधित रीति-रिवाज
बैशाखी 2025 के संदर्भ में, यह पर्व पहले से कहीं अधिक उत्साह और एकता का प्रतीक बनकर उभर रहा है. लोग पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ इस पर्व का आनंद ले रहे हैं, जबकि आधुनिकता का भी समावेश देखने को मिल रहा है. डिजिटल प्लेटफॉर्मों के जरिए भी बैशाखी की शुभकामनाएं साझा की जा रही हैं.
बैशाखी का महत्व
बैशाखी केवल एक कृषि उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारतीय है. यह पर्व हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य, मेहनत के महत्व और सामाजिक एकता का संदेश देता है. बैशाखी 2025 भी हमें इन मूल्यों की याद दिलाता है और हमें एकजुट होकर खुशियों को बांटने का अवसर प्रदान करता है.
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