Bihar Diwas 2025: हर वर्ष 22 मार्च को बिहार दिवस का आयोजन पूरे देश में किया जाता है. इस दिन को बिहार राज्य के स्थापना दिवस के रूप में मनाने की परंपरा है. भारत का यह राज्य अपनी समृद्ध संस्कृति, बौद्ध स्थलों और विशिष्ट परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है. बिहार, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के लिए जाना जाता है. यह क्षेत्र न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी एक विशेष स्थान रखता है. बिहार दिवस के अवसर पर, आइए राज्य के कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में जानकारी प्राप्त करें, जो भक्तों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र हैं.
महावीर मंदिर, पटना
पटना जंक्शन के निकट स्थित महावीर मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है. यह मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक है, जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
मंदिर की वास्तुकला अत्यंत भव्य और आधुनिक है, जिसमें कई मंजिलें शामिल हैं.मुख्य गर्भगृह में भगवान हनुमान की एक दिव्य प्रतिमा स्थापित है.भक्तों को यहां “नवधा मोहन भोग” के रूप में प्रसाद मिलता है, जो बहुत प्रसिद्ध है.
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यह मंदिर धार्मिक महत्व के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय है.महावीर कैंसर संस्थान और अन्य चैरिटी कार्यों के माध्यम से यह हजारों लोगों की सहायता करता है. मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष रूप से अधिक भीड़ होती है.महावीर मंदिर श्रद्धा, भक्ति और सेवा का प्रतीक है, जो बिहार की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को उजागर करता है.
विष्णुपद मंदिर, गया
गया का विष्णुपद मंदिर भगवान विष्णु के चरणों के निशान पर स्थापित है. यह मंदिर पिंडदान और श्राद्ध कर्म के लिए भी प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि भगवान राम और माता सीता ने यहां पिंडदान किया था.
विष्णुपद मंदिर, बिहार के गया शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है. इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण वह पवित्र चरण चिन्ह (विष्णुपद) है, जिसे भगवान विष्णु के पदचिह्न के रूप में पूजा जाता है. यह चरणचिह्न एक काले बेसाल्ट पत्थर पर उकेरा गया है और 40 सेंटीमीटर लंबा बताया जाता है.
यह मंदिर फल्गु नदी के तट पर स्थित है और हिंदू धर्म में इसे मोक्ष प्राप्ति का महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है. श्रद्धालु यहाँ पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं. मान्यता है कि भगवान राम और माता सीता ने भी यहाँ पिंडदान किया था. वर्तमान मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में मराठा शासक अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. विष्णुपद मंदिर की धार्मिक और ऐतिहासिक महिमा इसे बिहार के प्रमुख तीर्थस्थलों में शामिल करती है.
बुद्ध स्मृति पार्क, पटना
यह स्थल भगवान बुद्ध को समर्पित है और पटना के प्रमुख बौद्ध स्थलों में से एक माना जाता है. यहां भगवान बुद्ध की एक भव्य प्रतिमा और ध्यान केंद्र स्थित हैं, जो शांति और आध्यात्मिकता का संदेश फैलाते हैं.
बुद्ध स्मृति पार्क, पटना का एक प्रमुख बौद्ध स्मारक है, जिसे 2010 में बिहार सरकार ने भगवान बुद्ध की 2554वीं जयंती के अवसर पर स्थापित किया था. यह पार्क पटना के केंद्र में फ्रेजर रोड पर स्थित है और इसे शांति और आध्यात्मिकता का केंद्र माना जाता है.
इस पार्क का मुख्य आकर्षण महाबोधि स्तूप है, जिसमें भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष सुरक्षित हैं. यह स्तूप बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है. इसके अतिरिक्त, पार्क में एक ध्यान केंद्र (मेडिटेशन हॉल), संग्रहालय, और एक पुस्तकालय भी है, जहाँ बौद्ध धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है. यहां जापान, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार जैसे कई देशों द्वारा दान किए गए बौद्ध स्तूप भी स्थापित किए गए हैं. शांत वातावरण और हरियाली से भरा यह पार्क न केवल पर्यटकों के लिए, बल्कि ध्यान साधकों के लिए भी एक उत्तम स्थल है.
मुंडेश्वरी मंदिर, कैमूर
यह मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है. यह भगवान शिव और माता शक्ति को समर्पित है और इसकी आयु लगभग 2000 वर्ष है. यहां पूजा बिना बलि के करने की परंपरा है. मुंडेश्वरी मंदिर, जो बिहार के कैमूर जिले में स्थित है, भारत के प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है. यह मंदिर माता मुंडेश्वरी (शक्ति) और भगवान शिव को समर्पित है, और इसकी स्थापना गुप्त काल (लगभग 635 ईस्वी) या उससे पूर्व की मानी जाती है.
इस मंदिर की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है, जिसमें नागर शैली के तत्व स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं. यहाँ देवी मुंडेश्वरी की अष्टभुजा प्रतिमा स्थापित है, जिसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है. इस मंदिर की एक विशेषता यह है कि यहाँ बलि प्रथा का पालन नहीं किया जाता; बलि के स्थान पर नारियल चढ़ाने की परंपरा है.
मुंडेश्वरी मंदिर को एक शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है, और नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष उत्सव आयोजित किए जाते हैं. यह मंदिर धार्मिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित एक प्राचीन धरोहर है.
पटन देवी मंदिर, पटना
पटन देवी मंदिर शक्ति पीठों में से एक है और इसे माता दुर्गा को समर्पित किया गया है. मान्यता है कि यहां माता सती का दाहिना जांघ गिरा था. नवरात्रि के दौरान यह मंदिर विशेष रूप से भक्तों से भरा रहता है.पटन देवी मंदिर, जो बिहार की राजधानी पटना में स्थित है, एक प्रमुख शक्ति पीठ है. यह मंदिर माता दुर्गा के महा पटन देवी और चोटी पटन देवी के स्वरूप को समर्पित है. इसे शक्ति पीठों में शामिल किया जाता है, क्योंकि मान्यता है कि यहाँ माता सती का दाहिना जांघ गिरा था.
मंदिर में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की भव्य मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो भक्तों को अपनी दिव्यता से आकर्षित करती हैं. नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है, जिसमें भक्तों की बड़ी संख्या उमड़ती है.
पटन देवी मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है. कहा जाता है कि पटना का नाम भी पटन देवी के नाम पर रखा गया है. यह मंदिर आस्था, शक्ति और आध्यात्मिकता का एक प्रमुख केंद्र है, जहाँ श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की आशा लेकर आते हैं.
जलमंदिर, पावापुरी
यह मंदिर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. यहीं भगवान महावीर ने अपना अंतिम उपदेश दिया और निर्वाण प्राप्त किया. यह एक सुंदर जलाशय के मध्य स्थित है.जलमंदिर, बिहार के नालंदा जिले के पावापुरी में स्थित एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है. यह मंदिर भगवान महावीर के निर्वाण स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है, क्योंकि यहीं उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी. यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक पवित्र माना जाता है.
मंदिर एक सुंदर तालाब के मध्य स्थित है, जो इसे विशेष बनाता है. इस तालाब में कमल के फूल खिलते रहते हैं, जिससे इसकी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक शांति में वृद्धि होती है. मंदिर तक पहुँचने के लिए एक संगमरमर का पुल है, जो भक्तों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है.
जलमंदिर का निर्माण मगध के उस समय के राजा द्वारा किया गया था. इसकी संगमरमर की संरचना अद्वितीय और आकर्षक है. यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, जहाँ शांति और भक्ति का अनुभव किया जा सकता है.
उग्र तारा मंदिर, सरहसा
भगवती तारा को समर्पित यह मंदिर तांत्रिक पूजा के लिए प्रसिद्ध है. यहां देवी तारा की पूजा विशेष विधियों के माध्यम से की जाती है, और यह शक्ति साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. उग्र तारा मंदिर, बिहार के सहरसा जिले में स्थित एक प्राचीन शक्ति पीठ है, जो माता तारा देवी को समर्पित है. इसे तंत्र साधना के प्रमुख स्थलों में से एक माना जाता है और महाविद्या तारा देवी का स्थान कहा जाता है.
इस मंदिर में माता की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि यहाँ एक शिवलिंग जैसी पिंडी की पूजा की जाती है, जिसे तारा देवी का प्रतीक माना जाता है. श्रद्धालु विशेष रूप से नवरात्रि और अन्य तांत्रिक अनुष्ठानों के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में आते हैं.यह मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती की दाहिनी आंख गिरी थी, जिसके कारण यह शक्ति पीठ बना. तंत्र साधकों के लिए यह मंदिर विशेष महत्व रखता है. यह मंदिर धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के कारण भी एक अद्वितीय तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है. यहाँ भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना करते हैं.
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