इस दिन से होगी चैती छठ की शुरुआत, क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Chaiti Chhath 2025: भारतीय संस्कृति में कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को छठ पर्व और चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को भी छठ पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित है. इनमें चैत्र मास की छठ का विशेष महत्व है, जबकि कार्तिक मास की छठ अधिकतर लोग मनाते हैं.

By Shaurya Punj | March 21, 2025 10:45 AM
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Chaiti Chhath 2025: छठ पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र उत्सव है, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है, जिसमें भक्त उपवास रखते हैं और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. छठ पूजा साल में दो बार होती है – एक बार कार्तिक मास में (नवंबर में) और दूसरी बार चैत्र मास में (मार्च-अप्रैल में), जिसे “चैती छठ” कहा जाता है.

छठ पूजा आस्था, पवित्रता और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आस्था, पवित्रता और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक भी मानी जाती है. यह विश्वास किया जाता है कि इस व्रत के पालन से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है, साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. जो लोग संतान सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति की इच्छा रखते हैं, वे इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा के साथ करते हैं. विशेष बात यह है कि छठ व्रत में कोई भी व्यक्ति जाति या धर्म की सीमाओं से परे होकर भाग ले सकता है.

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छठ व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं

इस व्रत के दौरान, व्रती 36 घंटे तक निर्जला उपवास का पालन करते हैं और सूर्य को जल अर्पित करके पूजा का आयोजन करते हैं. यह पर्व धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह सूर्य की ऊर्जा के प्रति आभार व्यक्त करने और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का एक अवसर प्रदान करता है. यदि आप भी चैती छठ 2025 मनाने की योजना बना रहे हैं, तो यहां हम आपको इसके शुभ मुहूर्त, तिथियों और व्रत की संपूर्ण विधि के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं.

चैती छठ 2025 की तिथियां और शुभ समय

  • इस वर्ष चैती छठ पूजा 1 अप्रैल से 4 अप्रैल तक आयोजित की जाएगी.
  • नहाय-खाय (1 अप्रैल 2025): छठ पूजा की शुरुआत इसी दिन होती है. व्रति गंगा या किसी पवित्र जलाशय में स्नान करके सात्त्विक भोजन का सेवन करती हैं. इस दिन अरवा चावल, लौकी की सब्जी और चने की दाल बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.
  • खरना (2 अप्रैल 2025): इस दिन व्रति पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं. शाम को गुड़ और चावल से बनी खीर, रोटी और फलाहार का प्रसाद लिया जाता है. इसके बाद 36 घंटे का कठिन उपवास प्रारंभ होता है, जिसमें पानी का भी सेवन नहीं किया जाता.
  • संध्या अर्घ्य (3 अप्रैल 2025): इस दिन व्रति जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं. सूर्य देव को दूध और जल समर्पित किया जाता है, साथ ही छठी मैया की पूजा का आयोजन किया जाता है. इस दिन शाम 6:40 बजे सूर्यास्त के समय अर्घ्य का अनुष्ठान किया जाएगा.
  • प्रातः अर्घ्य (4 अप्रैल 2025): अंतिम दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य अर्पित किया जाता है. इस दिन व्रति उगते सूर्य को जल चढ़ाकर अपने परिवार और समाज की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इसके पश्चात व्रत का समापन किया जाता है और प्रसाद का वितरण किया जाता है. इस दिन सुबह 6:08 बजे सूर्योदय होगा, और उसी समय अर्घ्य अर्पित किया जाएगा.

छठ पूजा का महत्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • सूर्य की आराधना– छठ पूजा के दौरान सूर्य को जल अर्पित किया जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
  • स्वास्थ्य के लाभ– सूर्य की किरणें शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं और मानसिक शांति का अनुभव कराती हैं.
  • संतान सुख की प्राप्ति– छठी मैया की कृपा से संतानहीन दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है.
  • इच्छाओं की पूर्ति– श्रद्धालु अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए इस कठिन तपस्या का पालन करते हैं.
  • पर्यावरण संरक्षण का संदेश– इस पर्व के माध्यम से प्रकृति की पूजा की जाती है, जिससे जल और सूर्य के महत्व को उजागर किया जाता है.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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