Chaiti Chhath 2025: लोक अस्था का महापर्व साल में दो बार आयोजित किया जाता है. पहला अवसर चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में होता है. चैत्र मास में मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ के नाम से भी जाना जाता है. यह चार दिनों का महापर्व चैत्र में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और सप्तमी तिथि तक चलता है.
छठ महापर्व कब से प्रारंभ होगा
इस वर्ष चैती छठ महापर्व 1 अप्रैल से आरंभ होकर 4 अप्रैल तक चलेगा. इस बार चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 2 अप्रैल को रात 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 3 अप्रैल को रात 9 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. इसलिए, 1 अप्रैल को नहाय खाय, 2 अप्रैल को खरना, 3 अप्रैल को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा.
शुरू होने वाला है चैती छठ का त्योहार, जानें इसका इतिहास
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है, जिसमें भक्तगण कठोर उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. छठ व्रत में बनाए जाने वाले प्रसाद की विशेषता यह है कि इसे पूर्ण शुद्धता और सात्विकता के साथ तैयार किया जाता है. विशेष रूप से, नई फसल से निर्मित प्रसाद न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसकी धार्मिक महत्ता भी अधिक होती है.
नई फसल से बनेगा छठ प्रसाद
छठ पूजा में प्रयुक्त होने वाला प्रसाद मुख्यतः नई फसल से तैयार किया जाता है. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में इस समय फसल कटाई का मौसम होता है, जिससे ताजा अनाज और फल आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. गेहूं, चावल, गन्ना और ताजे फल इस पूजा के लिए विशेष रूप से उपयोग किए जाते हैं.
ठेकुआ – छठ महाप्रसाद
छठ पूजा के दौरान बनाए जाने वाले प्रमुख प्रसादों में ठेकुआ का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसे गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बनाया जाता है. इस बार नई फसल के गेहूं का उपयोग करके ठेकुआ तैयार किया जाएगा, जिससे इसका स्वाद और पवित्रता में वृद्धि होगी.
गुड़ और चावल से बनी खीर
छठ पूजा के लिए गुड़ की खीर भी एक महत्वपूर्ण प्रसाद है. इसे नए चावल, ताजे गुड़ और दूध से बनाया जाता है. नई फसल के चावल और ताजे गुड़ का उपयोग खीर को और भी स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाता है.
गन्ने और फलों का महत्व
छठ पूजा में गन्ने और फलों का विशेष महत्व है. गन्ने का रस भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है, और व्रतधारी इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इस बार नई फसल से ताजा गन्ना और केले पूजा में शामिल किए जाएंगे, जिससे छठी मैया की कृपा और अधिक प्राप्त होगी.
माता पूजन के लिए आवश्यक सामग्री
माता पूजन के समय विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्रियों की आवश्यकता होती है, जैसे बांस का सूप, नारियल, अदरक, हल्दी, मूली, नींबू और अन्य फल. इस बार नई फसल से प्राप्त सामग्रियों का उपयोग करके व्रत पूजन को और भी अधिक पवित्र बनाया जाएगा.
Rakshabandhan 2025: राखी बंधवाते समय भाई को किस दिशा में बैठाना शुभ, रक्षाबंधन पर अपनाएं ये वास्तु टिप्स
Sawan Pradosh Vrat 2025: श्रावण मास का अंतिम प्रदोष व्रत आज, इस विधि से करें पूजा
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन पर इस बार 95 सालों बाद बन रहा है दुर्लभ योग, मिलेगा दोगुना फल
Aaj Ka Panchang: आज 6 अगस्त 2025 का ये है पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और अशुभ समय की पूरी जानकारी