चैत्र नवरात्रि में अष्टमी तिथि का है विशेष महत्व, की जाती है शक्ति की उपासना
Chaitra Navratri 2025 Astami Tithi: जगत जननी मां दुर्गा की आराधना करने से साधक को उसकी इच्छित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुखों का संचार होता है. चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर साधक श्रद्धा के साथ देवी मां दुर्गा और उनके विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं. चलिए, दुर्गा अष्टमी की सही तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं.
By Shaurya Punj | April 1, 2025 1:35 PM
Chaitra Navratri 2025 Astami Tithi: चैत्र नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है, और इसका आठवां दिन, जिसे महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है, देवी दुर्गा की महिमा और शक्ति की पूजा के लिए समर्पित है. इस दिन मां महागौरी की आराधना की जाती है, जिन्हें सौंदर्य, शांति और करुणा का प्रतीक माना जाता है.
महाअष्टमी का महत्व
अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन और हवन करने की विशेष परंपरा है. भक्तजन इस दिन मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास रखते हैं और नौ कन्याओं को भोजन कराकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह दिन नारी शक्ति के सम्मान और उनकी महत्ता को प्रदर्शित करने का भी प्रतीक है.
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 04 अप्रैल 2025 को रात 08 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ होगी और 05 अप्रैल 2025 को रात 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि में अष्टमी 05 अप्रैल 2025, शनिवार को मनाई जाएगी.
पूजा विधि
प्रातःकाल स्नान के बाद मां महागौरी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें.
घर में घटस्थापना स्थल पर मां महागौरी की पूजा करें.
गंगाजल, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां के समक्ष दीप जलाएं.
कन्या पूजन करें और नौ कन्याओं को भोजन कराकर दक्षिणा दें.
महाअष्टमी का आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश
इस दिन का प्रमुख संदेश नारी शक्ति का सम्मान और सेवा भाव को अपनाना है. यह दिन हमें यह सिखाता है कि महिलाओं का आदर और उनका सशक्तिकरण समाज की प्रगति के लिए अनिवार्य है.