Chaturmas 2025 का पालन करने से मिलते हैं ये अद्भुत लाभ, जानिए नियम और लाभ

Chaturmas 2025: चातुर्मास 2025 का पालन धर्म, स्वास्थ्य और आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है. यह चार महीने संयम, भक्ति और साधना के प्रतीक होते हैं. इन दिनों में नियमपूर्वक जीवनशैली अपनाकर व्यक्ति ना केवल पुण्य अर्जित करता है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल भी प्राप्त करता है.

By Shaurya Punj | July 4, 2025 2:54 PM
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Chaturmas 2025: हिंदू धर्म में वर्षभर अनेक व्रत-त्योहार और पर्व मनाए जाते हैं, लेकिन चातुर्मास को सबसे पवित्र, अनुशासनपूर्ण और आत्मिक जागरण का काल माना गया है. यह वह समय होता है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि में स्थिरता का भाव आता है. 2025 में चातुर्मास की शुरुआत 10 जुलाई (आषाढ़ी एकादशी) से हो रही है और इसका समापन 6 नवंबर (प्रबोधिनी एकादशी) को होगा. इन चार महीनों को आत्मसंयम, तप, भक्ति और आत्मचिंतन का काल माना गया है.

चातुर्मास में क्या करना चाहिए?

सत्संग और आध्यात्मिक अभ्यास

रोजाना धर्मग्रंथों जैसे श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण, भगवत कथा का अध्ययन करें. भजन, ध्यान और कीर्तन को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं.

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व्रत और पर्वों का पालन

श्रावण सोमवार, हरियाली तीज, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, गणेश चतुर्थी जैसे प्रमुख व्रत और पर्व इसी काल में आते हैं. इनका श्रद्धा से पालन करें.

सेवा और दान

जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और औषधियों का दान करें. गौ सेवा और ब्राह्मण भोजन विशेष पुण्यदायी माने जाते हैं.

ब्रह्मचर्य और संयम का पालन

इस समय इंद्रियों पर नियंत्रण, शारीरिक व मानसिक संयम और साधना आवश्यक मानी जाती है.

सात्विक भोजन

शुद्ध, सात्विक, घर में बना भोजन लें. तला-भुना, बाहर का खाना और मसालेदार चीजें टालें.

पर्यावरण सेवा

पौधारोपण करें, तुलसी की सेवा करें और जल स्रोतों की स्वच्छता में योगदान दें.

चातुर्मास में क्या नहीं करना चाहिए?

  • शुभ कार्यों से परहेज़ करें: विवाह, गृह प्रवेश जैसे मंगल कार्य वर्जित माने जाते हैं.
  • मांस-मदिरा और तामसिक आहार न लें: प्याज, लहसुन, नॉनवेज और शराब का त्याग करें.
  • झूठ, चुगली और कलह से बचें: यह आत्म-संस्कार का समय है, बुरे कर्मों से दूर रहें.
  • रात में देर से न खाएं या जागें: दिनचर्या नियमित रखें और समय पर सोएं.
  • क्रोध और नकारात्मकता से बचें: मन और आत्मा की शुद्धता के लिए सकारात्मक रहें.

चातुर्मास के लाभ

  • आत्मिक विकास और शुद्धता
  • मानसिक शांति और आत्मचिंतन
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
  • संयमित जीवनशैली की स्थापना
  • पुण्य लाभ और मोक्ष की दिशा में कदम

चातुर्मास केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवन को अनुशासित करने और आत्मिक ऊर्जा को जागृत करने का मार्ग है. जब प्रकृति विश्राम की अवस्था में होती है, तब मनुष्य को भी भीतर की यात्रा करनी चाहिए.

कुंडली, वास्तु, व्रत या धार्मिक समस्याओं से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए संपर्क करें:

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
(ज्योतिष, वास्तु और रत्न विशेषज्ञ)
8080426594 / 9545290847

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