Devshayani Ekadashi Vrat Katha: देवशयनी एकादशी पर इस कथा सुनने से होते हैं सभी पापों का नाश, जानें कैसे

Devshayani Ekadashi Vrat Katha: देवशयनी एकादशी पर व्रत करने के साथ इसकी पौराणिक कथा का श्रवण विशेष फलदायी माना जाता है. मान्यता है कि इस कथा को श्रद्धा से सुनने मात्र से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. जानिए इस दिव्य कथा से जुड़ी संपूर्ण जानकारी.

By Shaurya Punj | July 6, 2025 5:50 AM
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Devshayani Ekadashi Vrat Katha: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है, जिसका उल्लेख धर्म ग्रंथों में विशेष रूप से किया गया है. मान्यता है कि इसी दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए पाताल लोक में योगनिद्रा में चले जाते हैं. इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत आज 6 जुलाई, रविवार को रखा जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि जब तक इस व्रत की कथा न सुनी जाए, तब तक इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता. आगे पढ़ें देवशयनी एकादशी व्रत की संपूर्ण कथा…

देवशयनी एकादशी व्रत कथा

पुराणों के अनुसार, सतयुग में मांधाता नामक एक चक्रवर्ती सम्राट थे, जो अपनी प्रजा को संतान समान मानकर सेवा करते थे. एक बार उनके राज्य में भयानक अकाल पड़ गया. लगातार तीन वर्षों तक वर्षा नहीं हुई, जिससे जीवन संकट में पड़ गया. खेत सूख गए, अनाज समाप्त हो गया और पशु-पक्षियों के लिए भी चारा नहीं बचा.

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इस स्थिति में यज्ञ, हवन, कथा, व्रत और धार्मिक कार्यों में भी कमी आ गई. परेशान होकर प्रजा राजा मांधाता के पास पहुंची. राजा भी इस संकट से अत्यंत व्यथित थे और समाधान की तलाश में वन की ओर चल पड़े.

जंगल में भ्रमण करते हुए वे ब्रह्माजी के पुत्र ऋषि अंगिरा के आश्रम पहुंचे. ऋषि ने आने का कारण पूछा तो राजा ने सारी स्थिति विस्तार से बताई और इसका उपाय पूछा.

तब ऋषि अंगिरा ने बताया कि, “तुम्हारे राज्य में एक शूद्र तप कर रहा है, जबकि उसे इसकी अनुमति नहीं है. यही अकाल का कारण है. यदि उसे दंड दिया जाए तो संकट दूर हो सकता है.”

लेकिन राजा मांधाता निर्दोष शूद्र की हत्या के लिए तैयार नहीं हुए. तब ऋषि ने कहा, “यदि तुम आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से करो, तो भी यह समस्या समाप्त हो सकती है.”

ऋषि के सुझाव के अनुसार राजा मांधाता अपने राज्य लौटे और समय आने पर सम्पूर्ण प्रजा के साथ देवशयनी एकादशी का व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव से उनके राज्य में जोरदार वर्षा हुई और फिर से समृद्धि लौट आई. पूरा राज्य धन-धान्य से भर गया.

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