द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर इन मंत्रों का करें जाप, गणेशजी करेंगे सब शुभ

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी के व्रत का विशेष महत्व है. प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है. पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस पवित्र तिथि पर भगवान गणेश की पूजा करने से सभी कार्यों में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है.

By Shaurya Punj | February 15, 2025 9:40 AM
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Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का अत्यधिक महत्व है. प्रत्येक महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

इस दिन रखा जाएगा महाशिवरात्रि का व्रत, यहां देखें रात्रि चार प्रहर की पूजा का मुहूर्त 

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 15 फरवरी 2025 (शनिवार) रात 11:53 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त – 17 फरवरी 2025 (सोमवार) रात 2:15 बजे
  • व्रत रखने की तिथि – 16 फरवरी 2025 (रविवार)

शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 5:16 से 6:07 बजे तक
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 2:28 से 3:12 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 6:09 से 6:35 बजे तक
  • अमृत काल – रात 9:48 से 11:36 बजे तक

पूजा विधि

सुबह की तैयारी

  • सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें.
  • पूजा स्थल को स्वच्छ करके लकड़ी के पट्टे पर साफ कपड़ा बिछाएं.
  • भगवान गणेश और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.

भगवान गणेश को भोग अर्पित करना

भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, अक्षत (चावल) और दूर्वा घास अर्पित करें.

आरती और व्रत कथा

  • भगवान गणेश के माथे पर तिलक करें.
  • घी का दीपक जलाकर श्रद्धा पूर्वक आरती करें.
  • संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें.

पूजा का समापन

कथा समाप्त होने के पश्चात भगवान गणेश को मिठाई, मोदक और फल अर्पित करें. प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में वितरित करें. इस दिन भगवान गणेश की पूजा सच्चे मन से करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है.

श्री गणेश मंत्र

ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

ऋणहर्ता गणपति मंत्र

ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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