ज्योतिष शास्त्र में छिपा जवाब, क्यों कांपती है धरती

Earthquake and Astrology Connection: शुक्रवार की सुबह नेपाल में 6.1 की तीव्रता का भूकंप आया. इस भूकंप के झटके पूरे हिमालय क्षेत्र में अनुभव किए गए. ज्योतिषशास्त्र में भूकंपों की तीव्रता और दिशा का सटीक निर्धारण करने की कोई विधि उपलब्ध नहीं है, और आधुनिक भूगर्भ-शास्त्रियों के लिए भी यह क्षेत्र चुनौतीपूर्ण है.

By Shaurya Punj | February 28, 2025 7:44 AM
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Earthquake and Astrology Connection: शुक्रवार की सुबह नेपाल में 6.1 की तीव्रता का भूकंप आया. इसके झटके पूरे हिमालय क्षेत्र में महसूस किए गए. भूकंप के झटके दो बार अनुभव किए गए; पहली बार काठमांडु के निकट और दूसरी बार बिहार सीमा के पास. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप का केंद्र नेपाल में था. इस भूकंप के कारण किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है.

वर्तमान वैज्ञानिक युग में भी कोई विज्ञान यह नहीं बता सकता कि कितने वर्षों बाद, किस स्थान पर और किस तीव्रता का भूकंप आएगा. विश्वभर में भूकंप मापने के यंत्र और सूचना केंद्र स्थापित किए गए हैं, लेकिन यह जानना कि भूकंप कब, कहां और कितनी तीव्रता के साथ आएगा, अभी भी विज्ञान के लिए एक अनसुलझा प्रश्न है.

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ज्योतिष को वेदों का दृष्टि कहा जाता है. यह विज्ञान भविष्य में क्या होने वाला है, इसे जानने का माध्यम है. ज्योतिष की प्रासंगिकता मौसम विज्ञान के समान स्पष्ट है, किंतु मौसम विज्ञान केवल कुछ दिनों का पूर्वानुमान करने में सक्षम है, जो आकाश में स्थित यंत्रों पर निर्भर करता है.

इसके विपरीत, भारतीय ज्योतिष शास्त्र एक पंचांग के माध्यम से वर्षों आगे होने वाले ग्रहण, अमावस्या, पूर्णिमा और अन्य सभी खगोलीय घटनाओं की गणना और पूर्वानुमान करने में सक्षम है. भारतीय ज्योतिष में भूचाल की भविष्यवाणी के लिए कई बिंदुओं का उल्लेख किया गया है, जिनके आधार पर भूकंप का पूर्वानुमान किया जा सकता है.

ग्रहण और भूकंप

ग्रहण के समय भूकंप नहीं आता है. हालांकि, सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के बाद आने वाली अमावस्या या पूर्णिमा के सप्ताह में भूकंप आने की संभावना अधिक होती है.

भूकंप और समय

ज्योतिष के अनुसार, दिन के 12:00 बजे से लेकर सूर्यास्त तक और मध्य रात्रि से सूर्योदय के समय भूकंप आने की संभावना अधिक होती है.

वक्री ग्रह और भूकंप

मुख्य ग्रहों जैसे शनि, बृहस्पति और मंगल की वक्री चाल के दौरान भूकंप के आने की संभावना बढ़ जाती है.

ग्रहों की गोचर स्थिति और भूकंप

जब शनि, बृहस्पति, मंगल के साथ राहू और चंद्रमा की विशेष स्थिति होती है, जैसे कि मंगल और शनि का विपरीत होना, क्रूर ग्रहों का एक-दूसरे के केंद्र में होना, कुंडली का अष्टम भाव क्रूर ग्रहों की दृष्टि से प्रभावित होना, मंगल और शनि का षडाष्टक योग, मंगल और राहु का षडाष्टक योग, तथा सूर्य और मंगल का षडष्टक योग, तब भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है.

माह और भूकंप

सूर्य के दक्षिणायन के समय, अर्थात् दिसम्बर और जनवरी में, और सूर्य के उत्तरायण के समय, अर्थात् मई और जून में भूकंप की संभावना अधिक होती है.

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