महाकुंभ के बाद यहां लगेगा गंगासागर मेला, जानें हर डिटेल

Ganga Sagar Mela 2025: क कहावत भी है सब तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार. मान्यता है कि गंगा सागर स्नान से 100 अश्वमेध यज्ञ जैसा पुण्य फल मिल जाता है. ये मेला मकर संक्रांति के समय पर लगता है. सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तब गंगा सागर स्नान का विशेष धार्मिक महत्व है.

By Shaurya Punj | January 13, 2025 10:38 AM
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Ganga Sagar Mela 2025: प्रयागराज के महाकुंभ का अनुभव करने और गंगा में स्नान करने के लिए विश्वभर से लोग आते हैं, ठीक उसी प्रकार गंगा सागर में भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. मकर संक्रांति के अवसर पर यहां एक विशाल मेला आयोजित होता है, जिसे लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. लेकिन, यह जानना आवश्यक है कि गंगा सागर तक कैसे पहुंचा जा सकता है. गंगा सागर जाने के लिए क्या मार्ग हैं और यहां घूमने के लिए कौन-कौन सी गतिविधियाँ उपलब्ध हैं, आइए इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं.

मकर संक्रांति के अवसर पर गंगासागर में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. 14 जनवरी को दोपहर 2.58 बजे के बाद पुण्य स्नान का समय निर्धारित किया गया है. यह विश्वास किया जाता है कि इस स्नान से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है. हालांकि स्नान का समय 14 जनवरी को है, गंगासागर मेला पहले से ही आरंभ हो जाता है. यह स्थान जनवरी में कोलकाता में घूमने के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है.

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हिंदू धर्म में गंगा सागर मेला का महत्व

गंगा सागर स्नान हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह मेला बंगाल में बड़े धूमधाम से आयोजित किया जाता है. मान्यता है कि गंगा सागर स्नान करने से 100 अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है, साथ ही यह पापों से मुक्ति का भी साधन है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह वह दिन है जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है. हिंदू संस्कृति में, यह दिन शुभ समय की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इसके पश्चात सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, और अन्य अनुष्ठान आरंभ किए जा सकते हैं.

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