– दिवंगत आत्मा की शांति के लिए – मृतक के परिजनों को
जब किसी घर में किसी प्रियजन का निधन हो जाता है, तो गरुड़ पुराण का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है. विशेष रूप से 13 दिन तक इसका श्रवण या पाठ करने से आत्मा की गति सुधरती है.
धार्मिक कारण
- आत्मा को गति और शांति मिलती है.
- परिजनों के मन में वैराग्य और संतुलन की भावना आती है.
- मृत्यु का भय कम होता है और जीवन को गहराई से समझने का अवसर मिलता है.
– पितृ दोष से पीड़ित लोगों को
यदि जन्मकुंडली में पितृ दोष है, या घर में पूर्वजों की अशांति का प्रभाव दिखाई देता है, तो गरुड़ पुराण का पाठ करना अत्यंत फलदायक होता है.
धार्मिक लाभ
- पितरों को संतोष और तृप्ति मिलती है.
- वंशजों के जीवन में सुख और शांति का संचार होता है.
- पितृ शांति के लिए किए गए कर्म सफल होते हैं.
– मृत्यु भय और जीवन की अस्थिरता से परेशान लोगों को
जो लोग जीवन की अनिश्चितताओं, मृत्यु या अचानक होने वाली घटनाओं से मानसिक तनाव में रहते हैं, उन्हें गरुड़ पुराण से दिशा मिलती है.
लाभ
- मोह-माया से मुक्ति और वैराग्य की भावना जागती है.
- व्यक्ति कर्म की गहराई और आत्मा की अमरता को समझता है.
- मृत्यु को जीवन के अगले चरण के रूप में देखने की दृष्टि मिलती है.
– वृद्ध या अस्वस्थ लोगों को
गरुड़ पुराण का पाठ बुढ़ापे या बीमारी से जूझ रहे लोगों को मानसिक और आत्मिक रूप से सशक्त करता है.
धार्मिक मान्यता
- अंतिम समय में प्रभु का स्मरण सहज होता है.
- पुण्य फल प्राप्त होता है और अगला जन्म उत्तम होता है.
- मन भयमुक्त और शांत रहता है.
– मोक्ष की कामना रखने वाले साधकों को
जो लोग इस जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति की तलाश में हैं, उन्हें गरुड़ पुराण गहरी आध्यात्मिक समझ प्रदान करता है.
आध्यात्मिक लाभ
- आत्मा के उद्देश्य और यात्रा को समझने में मदद मिलती है.
- भक्ति, सेवा, और सत्य जीवन के मूल स्तंभों के रूप में सामने आते हैं.
- मोक्ष की ओर आत्मा अग्रसर होती है.
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गरुड़ पुराण सिर्फ मृत्यु के बाद सुनने-पढ़ने वाला ग्रंथ नहीं है, यह एक ऐसा दर्पण है जो हमें जीवन और मृत्यु दोनों की सच्चाई दिखाता है. इसका पाठ व्यक्ति के मन, आत्मा और सोच — तीनों को शुद्ध करता है. हर धार्मिक और अध्यात्मिक साधक को इसे अवश्य पढ़ना या सुनना चाहिए, ताकि जीवन में धर्म, कर्म और मोक्ष की दिशा स्पष्ट हो सके.