गुड़ी पड़वा 2025 का पर्व इस तिथि को, पूजा विधि और शुभ समय जानें यहां

Gudi Padwa 2025: हिंदू धर्म में गुड़ी पड़वा का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. यह त्योहार महाराष्ट्र में विशेष उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा के अवसर पर घरों में गुड़ी (विजय पताका) स्थापित की जाती है, जो समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है.

By Shaurya Punj | March 19, 2025 1:15 PM
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Gudi Padwa 2025: हिंदू धर्म में प्रत्येक माह कई व्रत और त्योहार होते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण पर्व गुड़ी पड़वा है. यह पर्व हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है और इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत के रूप में माना जाता है. गुड़ी पड़वा का उत्सव पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इसकी विशेष महत्ता है. यहाँ इस पर्व का आयोजन विशेष धूमधाम से किया जाता है. आइए, जानते हैं कि इस वर्ष गुड़ी पड़वा कब मनाया जाएगा और इसका पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा.

गुड़ी पड़वा 2025 का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को संध्या 04 बजकर 27 मिनट पर प्रारंभ होगी और 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है. इसलिए, 30 मार्च को गुड़ी पड़वा का उत्सव मनाया जाएगा.

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गुड़ी पड़वा की पूजा विधि

गुड़ी पड़वा के दिन, सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद, पूरे घर की सफाई करनी आवश्यक है. फिर, घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों से तोरण लगाना चाहिए और रंगोली बनानी चाहिए. इसके बाद, घर के किसी एक स्थान पर गुड़ी (विजय पताका) को फहराना चाहिए. गुड़ी पड़वा के दिन, पूरे परिवार के साथ विधिपूर्वक ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए और देवी माता की भी आराधना करनी चाहिए. गुड़ी फहराने के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा का आयोजन करना चाहिए.

गुड़ी पड़वा का महत्व

गुड़ी पड़वा का त्योहार धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही, यह पर्व जीवन में शुभता और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है. गुड़ी पड़वा के अवसर पर घरों में गुड़ी (विजय पताका) स्थापित की जाती है, जो समृद्धि का प्रतीक होती है. इस दिन से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना गुड़ी पड़वा के दिन की थी, इसलिए इस दिन ब्रह्मा जी की पूजा का विशेष महत्व है.

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