Guru Purnima 2025 इस पावन दिन पर गुरु से सीख लें ये 5 अहम कार्य, भविष्य में होंगे मंगल

Guru Purnima 2025 : गुरु पूर्णिमा का यह दिव्य अवसर हमें जीवन के उच्चतम आदर्शों को अपनाने का संदेश देता है. जो व्यक्ति गुरु के उपदेशों को जीवन में उतारता है, उसका भविष्य निश्चित ही मंगलमय और सफल होता है.

By Ashi Goyal | July 5, 2025 6:02 PM
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Guru Purnima 2025 : गुरु पूर्णिमा हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और श्रद्धायुक्त पर्व है, जिसे आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह दिन गुरु के प्रति समर्पण, कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने का प्रतीक है. शास्त्रों में कहा गया है: “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः आइए जानें, गुरु पूर्णिमा के दिन हमें अपने गुरु से कौन-कौन से महत्वपूर्ण कार्य सीखने चाहिए:-

– धर्म के अनुसार जीवन जीने की कला

गुरु हमें सिखाते हैं कि धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे आचरण, विचार और व्यवहार का मूल आधार है. गुरु से यह सीखें कि सत्य, अहिंसा, संयम, सेवा और कर्तव्य पर आधारित जीवन कैसे जिया जाए. जो व्यक्ति धर्म के अनुसार चलता है, उसके जीवन में किसी भी प्रकार की विपत्ति स्थायी नहीं रह सकती.

– विवेक और निर्णय की क्षमता

गुरु हमें यह समझाते हैं कि जीवन में हर निर्णय भावनाओं से नहीं, बल्कि विवेक से लेना चाहिए. सत्संग और गुरु की शिक्षा से हम यह जान सकते हैं कि कब किस कार्य को करना उचित है और किससे बचना चाहिए. विवेकशील निर्णय भविष्य को मंगलमय बनाते हैं.

– कर्म योग की महत्ता

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” – यह गीता का सिद्धांत गुरु से सीखा जाता है. केवल कर्म पर ध्यान देना और फल की चिंता न करना, यही सच्चा योग है. गुरु हमें यह सिखाते हैं कि अपने कर्म को पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से करें, फल अपने आप प्राप्त होगा.

– सत्संग और साधना का महत्व

गुरु पूर्णिमा पर यह संकल्प लें कि सत्संग और साधना को जीवन का अभिन्न अंग बनाएंगे. गुरु बताते हैं कि आत्मा की शुद्धि और मन की स्थिरता के लिए ध्यान, जाप, और सत्संग अत्यंत आवश्यक हैं. ये अभ्यास हमें मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान करते हैं.

– क्षमाशीलता और नम्रता का अभ्यास

गुरु का एक प्रमुख गुण होता है क्षमा और विनम्रता..इस दिन गुरु से यह सीखें कि जीवन में कैसे क्रोध, द्वेष और घृणा को त्याग कर क्षमा और नम्रता को अपनाया जाए. यह गुण न केवल रिश्तों को सुदृढ़ बनाते हैं, बल्कि हृदय में दिव्यता का वास करते हैं.

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गुरु पूर्णिमा का यह दिव्य अवसर हमें जीवन के उच्चतम आदर्शों को अपनाने का संदेश देता है. जो व्यक्ति गुरु के उपदेशों को जीवन में उतारता है, उसका भविष्य निश्चित ही मंगलमय और सफल होता है. इस दिन गुरु चरणों में श्रद्धा से सिर झुकाएं और इन शिक्षाओं को जीवन में उतारने का संकल्प लें.

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