Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा पर करें ऐसे पूजा, जीवन में आएगा ज्ञान और शांति

Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का विशेष दिन होता है. इस दिन सही विधि से पूजन करने से जीवन में ज्ञान, शांति और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है. जानें गुरु पूर्णिमा पर पूजा की सही विधि और इसका महत्व.

By Shaurya Punj | July 10, 2025 7:58 AM
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Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व है. यह केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी विशेष महत्व रखता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाभारत सहित अनेक ग्रंथों की रचना की. इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व आज 10 जुलाई 2025 (बुधवार) को मनाया जा रहा है.

गुरु पूर्णिमा 2025: शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ

10 जुलाई 2025, रात्रि 1:36 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त

11 जुलाई 2025, रात्रि 2:06 बजे

हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ स्थान दिया गया है, क्योंकि वही जीवन में ज्ञान, संस्कार और दिशा प्रदान करते हैं. गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. उन्होंने महाभारत सहित कई पुराणों की रचना की और वेदों का संकलन किया. यह दिन गुरुओं के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करने का शुभ अवसर माना जाता है.

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर के पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें. भगवान विष्णु, महर्षि वेदव्यास और अपने गुरु के चित्र या प्रतिमा को स्थापित करें. उन्हें पुष्प, अक्षत, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. फिर “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु…” मंत्र का जाप करें. सजीव गुरु हों तो चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें और वस्त्र, फल या दक्षिणा अर्पित करें.

गंगा स्नान, ब्राह्मण पूजन और दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है. अन्न, वस्त्र और पुस्तकें दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.

यह पर्व केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण और सद्गति की दिशा में पहला कदम है. हर साधक के लिए यह दिन एक आध्यात्मिक उत्सव होता है.

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