Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख और पारंपरिक पर्व है, जिसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाती हैं. यह पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, और वर्ष 2025 में यह तीज 4 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन की स्मृति में व्रत रखती हैं और उनका पूजन करती हैं. इस पर्व की खास परंपरा है—मेहंदी लगाना, जो न केवल श्रृंगार का अंग है, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है.
हरियाली तीज और मेहंदी का संबंध
हरियाली तीज को सुहाग, प्रेम, और निष्ठा का उत्सव माना जाता है. सुहागिन स्त्रियों के लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है. मेहंदी को सौभाग्य, प्रेम और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है. तीज पर मेहंदी लगाने की परंपरा केवल सौंदर्य-वर्धन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका संबंध माता पार्वती की तपस्या और उनके वैवाहिक जीवन से जुड़ा हुआ है.
माता पार्वती और मेहंदी से जुड़ी पौराणिक मान्यता
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अनेक जन्मों तक कठिन तप किया. उनके 108वें जन्म में यह तप सफल हुआ और शिवजी ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया. माना जाता है कि विवाह के दिन माता पार्वती ने अपने हाथों में मेहंदी रचाई थी, जो उनके प्रेम, समर्पण और सौभाग्य का प्रतीक बनी. इसी परंपरा के अनुसार महिलाएं हरियाली तीज पर मेहंदी लगाकर माता पार्वती जैसी अखंड सौभाग्यवती बनने की कामना करती हैं.
मेहंदी का आध्यात्मिक और पारंपरिक महत्व
- मेहंदी शरीर को ठंडक पहुंचाती है, जो सावन के मौसम में लाभकारी होती है.
- यह मानसिक तनाव को कम कर मन को शांति देती है.
- धार्मिक दृष्टि से, मेहंदी को सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का प्रतीक माना गया है.
- यह दांपत्य प्रेम और रिश्तों में मिठास लाने का प्रतीक भी है.
हरियाली तीज पर मेहंदी लगाना केवल श्रृंगार नहीं, बल्कि माता पार्वती के प्रेम, तपस्या और सौभाग्य की परंपरा को जीवित रखने का माध्यम है, जो महिलाओं को आस्था, शक्ति और प्रेम में अडिग रहने की प्रेरणा देता है.