– व्रत का संकल्प और नियम पालन
व्रत की शुरुआत प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर के की जाती है. महिलाएं निर्जल और निराहार व्रत का संकल्प लेती हैं. यह व्रत अत्यंत कठोर होता है, लेकिन आस्था और श्रद्धा से रखने पर इसका पुण्य फल अक्षय होता है. कुंवारी लड़कियां इस व्रत को विवाह योग्य वर की प्राप्ति के उद्देश्य से करती हैं.
– मिट्टी की पार्वती और शिव की प्रतिमा बनाएं
इस दिन पूजा हेतु मिट्टी, गोबर या शुद्ध काली मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाई जाती है. इन्हें सुंदर वस्त्र, फूल-मालाओं और साज-सज्जा से अलंकृत किया जाता है. यह पूजा घर के मंदिर या साफ-सुथरी जगह पर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके की जाती है.
– पूजन सामग्री की चेकलिस्ट
पूजा में आवश्यक सामग्री होती है – रोली, चावल (अक्षत), फूल, धूप, दीप, फल, नारियल, मिठाई, जल कलश, कलावा, पान-सुपारी, सिंदूर, हरतालिका व्रत कथा पुस्तक, एवं सुहाग सामग्री (कंगन, चूड़ी, बिंदी, आदि). विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह सभी सामग्री अर्पित करती हैं.
– हरतालिका व्रत कथा का श्रवण
पूजा का सबसे प्रमुख अंग है हरतालिका तीज व्रत कथा. कथा में देवी पार्वती के कठोर तप और भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने की कथा सुनाई जाती है. इसे पढ़ने या श्रवण करने से ही व्रत पूर्ण और फलदायी माना जाता है.
– रात्रि जागरण और व्रत समापन
यह व्रत रातभर जागरण के साथ पूर्ण होता है. अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रती महिलाएं स्नान कर भगवान शिव-पार्वती की विधिपूर्वक पूजा कर व्रत का पारण करती हैं. विवाहित महिलाएं सास-ससुर को पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अपने बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं.
यह भी पढ़ें : Hartalika Teej Vrat 2025: कैसे करें हरतालिका तीज की पूजा? जानें संपूर्ण विधि
यह भी पढ़ें : Hartalika Teej 2025 : सुहागिन महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है हरतालिका तीज का व्रत, जानें
यह भी पढ़ें : Raksha Bandhan Thali 2025: पूजा की थाली बनाते समय इन चीजों से करें परहेज
हरतालिका तीज का व्रत महिलाओं के सौभाग्य, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है चाहे विवाहित हों या अविवाहित, श्रद्धा और नियमों के साथ किया गया यह व्रत देवी पार्वती की कृपा और शिवजी का आशीर्वाद अवश्य दिलाता है.