नवसंवत्सर में सूर्य राजा और मंत्री, कैसा रहेगा नया साल?

Hindu Nav Varsh 2025: नवसंवत्सर 2082 का प्रारंभ ग्रहों के शुभ संयोग के साथ हो चुका है. इस दिन शाम 6:14 बजे तक रेवती नक्षत्र और उसके बाद अश्विनी नक्षत्र विद्यमान है. मीन लग्न सुबह 06:26 बजे तक था, जिसके बाद मेष लग्न का आरंभ हुआ. मीन राशि में इस दिन पांच ग्रहों की उपस्थिति से पंचग्रहीय योग का निर्माण हो चुका है.

By Shaurya Punj | March 30, 2025 12:30 PM
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Hindu Nav Varsh 2025, Navsamvatsar 2082: इस साल वासंतिक नवरात्र के साथ ही विक्रम संवत 2082 की शुरुआत रविवार 30 मार्च से हो चुका है. लेकिन इस बार नवसंवत्सर के राजा व मंत्री दोनो सूर्य के होने से लोगों को अत्यधिक गर्मी झेलनी पड़ सकती है. वहीं पेयजल, गुड़, दूध, तेल, गन्ना, फल, सब्जियों, चीनी इत्यादि वस्तुओं की कमी से इनके दाम बढ़ेंगे. ऐसे में जाहिर है मंहगाई में तेजी आने से आम जनता की बेचैनी भी और अधिक बढ़ जाएगी. जनता गम्भीर रोगों से त्रस्त रहेगी. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा, मान-सम्मान, त्वचा, प्रतिष्ठा, ऊर्जा, नेतृत्व क्षमता और पिता आदि का कारक माना जाता है. वर्ष का शुभारंभ सिंह लग्न में होगा और इसमें गजकेसरी योग व अमृत सिद्धि योग का अद्वितीय संयोग सभी के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा. नवसंवत्सर के अवसर पर गुरु और चंद्रमा की युति एक सकारात्मक योग का निर्माण करेगी, जिससे यह वर्ष समृद्धि और भाग्य का संचार करेगा. शुक्र और बुध की अनुकूल स्थिति व्यापार और व्यवसाय में प्रगति को सुनिश्चित करेगी.

ज्योतिष व वैदिक विद्वान और श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय के प्राचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि नवसंवत्सर 2082 का आरंभ ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग में होगा. इस दिन शाम 6:14 बजे तक रेवती नक्षत्र फिर अश्विनी नक्षत्र विद्यमान रहेगा. मीन लग्न सुबह 06:26 बजे तक रहेगा फिर मेष लग्न का आरंभ होगा. मीन राशि में इस दिन पांच ग्रह के मौजूद होने से पंचग्रहीय योग बनेगा. मीन राशि में सूर्य, बुध, राहु, शनि और शुक्र ग्रह विद्यमान होंगे. केतु कन्या राशि में, देवगुरु बृहस्पति वृष राशि में तथा मंगल मिथुन राशि में रहेंगे. वर्षलग्न का स्वामी सूर्य अष्टम भाव में पंचग्रही योग में सम्मिलित होने से आने वाला वर्ष राजनीतिक दलों के लिए परस्पर संघर्षपूर्ण, व्यक्तिगत आकांक्षा और अनेक नेताओं की छवि को धूमिल करने वाला होगा.

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नव संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य होंगे. अतः केन्द्र सत्ता व राज्यों के मध्य सामन्जस्य बेहतर बनेगा. जबकि, देश के कई राज्यों में सत्ता परिवर्तन की संभावना बनेगी. कई स्थानीय राजनीतिक पार्टियों का विलय होगा. वहीं, विदेशी कूटनीति से देश को लाभ मिलेगा. धर्म-आध्यात्म में लोगों की रूचि बढ़ेगी. बुध के प्रभाव से इस साल वर्षा की स्थिति संतोष जनक रहेगी. इस बार नवसंवत्सर वैश्य के यहाँ निवास करेगा जिससे व्यापार में प्रगति होगी. अन्न, भूमि, भवन, शिक्षा, सोना, वाहन, तकनीक के क्षेत्रों में तेजी रहेगी.

इस वर्ष 4 ग्रहण : दो सूर्यग्रहण, दो चन्द्रग्रहण

नवसंवत्सर 2082 के पंचांग अनुसार इस वर्ष 4 ग्रहण लगेंगे, जिसमें दो सूर्यग्रहण और दो चन्द्रग्रहण हैं. भारत में दो चन्द्रग्रहण दिखाई देंगे. इसलिए उनसे संबंधित समस्त यम, नियम, सूतक, दान, पुण्य, जप, अनुष्ठान सम्पूर्ण भारतवर्ष में मान्य होंगे. वहीं दोनों सूर्यग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होंगे, इसलिए उनसे संबंधित यम, नियम, सूतक आदि सम्पूर्ण भारतवर्ष में मान्य नहीं होंगे.

इनके लिए नव-संवत्सर होगा कल्याणकारी

किन राशियों के लिए नव-संवत्सर होगा कल्याणकारी और किन राशियों के जातकों को अपने – अपने ग्रहों को शांत करने की जरूरत होगी. इसके बारे में बताते हुए आचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने कहा कि पंचग्रही योग के प्रभाव से कुछ राशियों के जातकों के लिए नववर्ष शुभ फल देने वाला रहेगा वहीं कुछ राशियों के जातकों को अपने प्रतिकूल ग्रहों को शांत करने के लिए जप-तप, दर्शन, पूजन दान आदि उपाय करने की सलाह दी जाती है. उन्होंने कहा कि नवसंवत्सर 2082 मेष, सिंह, तुला और मकर राशि के जातकों के लिए अत्यंत शुभ रहने की संभावना है. इन्हें करियर, आर्थिक लाभ और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होगी. वहीं वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला राशि के जातकों के लिए के लिए विक्रम संवत 2082 प्रतिकूल हो सकता है. अपने प्रतिकूल ग्रहों को शांत रखने के लिए इन राशियों के जातकों को नियमित पूजन, जप, दानादि, आराधना व दर्शन करने की सलाह दी जाती है.

इन राशियों के जातकों को सताएगी शनि की साढ़े साती और ढ़ैया
आचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि मेष, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन राशियों के जातकों को शनि की साढ़े साती और ढ़ैया का सामना भी करना पड़ेगा. शनि के कोप को शांत या कम करने के लिए हनुमान जी की आराधना, सुन्दरकाण्ड का पाठ करें. शनिवार को प्रदोषकाल में पीपल के मूल में जलदान व दीपदान करें. बन्दर को चना, गुड़ खिलाएं. काला तिल, अंजन, लोहा, बला, सौंफ, धान के लावा को जल में डालकर स्नानादि से शनिदोष शान्त होता है.

सामवेदाचार्य
ब्रजमोहन पांडेय

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