हवा की दिशा करेगी आर्थिक स्थिति एवं स्वास्थ्य
हवा की दिशा से तय होता है कि अगली होली तक का समय सेहत, रोजगार, शिक्षा, बिजनेस, कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए कैसा होगा. होलिका जलने पर जिस दिशा में धुंआ उठता है, उससे आने वाले समय का भविष्य जाना जाता है. होलिका दहन की आग सीधी ऊपर उठे तो उसे बहुत शुभ माना गया है. अगर होलिका की आग दक्षिण दिशा की ओर झुकी को देश में बीमारियां और दुर्घटनाओं का संकेत माना जाता है.
आग का लौ आकाश की तरफ उठना बेहद शुभ
होलिका दहन के समय आग की लौ अगर सीधे हो, आसमान की तरफ उठे तो अगली होली तक सब कुछ अच्छा होता है. खासतौर से सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े सकारात्मक बदलाव होते हैं. बड़ी जन हानि या प्राकृतिक आपदा की आशंका भी कम रहती है. पूजा-पाठ और दान से परेशानियां खत्म होंगी.
पूर्व दिशा में उठना बहुत शुभ
होलिका दहन की लौ पूर्व दिशा की ओर झुके तो इसे बहुत शुभ माना गया है, इससे शिक्षा-अध्यात्म और धर्म को बढ़ावा मिलता है. रोजगार की संभावना बढ़ती है, लोगों की सेहत में सुधार होता है, मान-सम्मान भी बढ़ता है.
पश्चिम दिशा में ये लाभ
होली की आग पश्चिम की ओर उठे तो पशुधन लाभ होता है. आर्थिक प्रगति होती है, लेकिन धीरे-धीरे थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका भी रहती है. कोई बड़ी हानि नहीं होती है. इस दौरान चुनौतियां बढ़ती हैं लेकिन सफलता भी मिलती है.
उत्तर दिशा में उठे तो सुख-शांति
होलिका दहन के वक्त आग उत्तर दिशा की ओर होती है तो देश और समाज में सुख-शांति बढ़ती है, इस दिशा में कुबेर समेत अन्य देवताओं का वास होने से आर्थिक प्रगति होती है. चिकित्सा, शिक्षा, कृषि और व्यापार फलता फूलता है.
दक्षिण दिशा अनिष्टकारी
दक्षिण दिशा में होलिका दहन की आग का झुकना अशुभ माना गया है. दक्षिण दिशा में होलिका की लौ होने से झगड़े और विवाद बढ़ने की आशंका रहती है. युद्ध-अशांति की स्थिति भी बनती है, इस दिशा में यम का प्रभाव होने से रोग और दुर्घटना बढ़ने का अंदेशा भी रहता है.
Holi 2024 Date: रंगों वाली होली खेलना कब रहेगा शुभ 25 या 26 मार्च, तारीख को लेकर दूर करें अपना कंफ्यूजन
हरि हर पूजा से खत्म होंगे दोष
होलिका दहन के दिन हरि-हर पूजा करनी चाहिए. हरि यानी भगवान विष्णु और हर मतलब शिव. फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर प्रह्लाद का जीवन विष्णु भक्ति की वजह से ही बचा था. तभी से हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन के साथ ही विष्णु पूजन की परंपरा भी चली आ रही है. लेकिन साथ ही इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से बीमारियां दूर होने लगती हैं और हर तरह के दोष भी खत्म होते हैं, इसलिए विद्वानों ने इस पर्व पर हरि-हर पूजा का विधान बताया है.