14 या 15 मार्च, कब है होली, यहां जानें सही तिथि

Holi 2025: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात को होलिका दहन का आयोजन किया जाता है, और इसके अगले दिन धुलंडी, अर्थात् रंगों से भरी होली का पर्व मनाया जाता है. पिछले वर्ष, अर्थात् 2024 में, होली की तिथि को लेकर देशभर में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई थी. इस वर्ष भी कुछ व्यक्तियों को होली की तिथि को लेकर संदेह है.

By Shaurya Punj | February 22, 2025 10:23 AM
an image

Holi 2025 Date: होली, जो भारत का सबसे जीवंत और आनंदमय त्योहार है, सम्पूर्ण देश में अत्यंत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की विजय और प्रेम तथा भाईचारे का प्रतीक है. पिछले साल यानी 2024 में होली की डेट को लेकर देश भर में कंफ्यूजन था. वहीं इस साल भी कुछ लोगों को होली की डेट का कंफ्यूजन है. आइए जानें किस दिन मनाई जाएगी होली.

कब है होली का त्योहार

इस वर्ष वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च, 2025 को सुबह 10:25 बजे प्रारंभ होगी. यह तिथि 14 मार्च, 2025 को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी. इस प्रकार, उदया तिथि के अनुसार, होलिका दहन 13 मार्च को मनाया जाएगा, जबकि होली 14 मार्च, 2025 को होगी.

Phulera Dooj 2025: फुलेरा दूज का श्रीकृष्ण से है ये संबंध, जानें यहां

होलिका दहन पर भद्रा का प्रभाव

होली के अवसर पर भद्रा का प्रभाव अक्सर देखा जाता है. इस वर्ष भी होलिका दहन के समय भद्रा का प्रभाव उपस्थित है. भद्रा के प्रभाव में होलिका दहन करना निषिद्ध माना जाता है. होलिका दहन के दिन सुबह 10:35 बजे से लेकर रात 11:26 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा. भद्रा पुंछ का समय शाम 6:57 बजे से 8:14 बजे तक होगा. भद्रा मुख का समय रात 8:14 बजे से 10:22 बजे तक निर्धारित है.

झारखंड के इस मंदिर में पूरी होती है मनोकामना, पाहन करते हैं मुंडारी भाषा में मंत्रोच्चार

होली का पर्व क्यों मनाया जाता है?

होली का त्योहार धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह पर्व भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कहानी से संबंधित है. हिरण्यकश्यप, जो एक शक्तिशाली असुर राजा था, भगवान विष्णु का कट्टर विरोधी था और उसने अपने पुत्र प्रह्लाद को उनकी पूजा करने से रोकने का प्रयास किया. जब प्रह्लाद ने उसकी बात नहीं मानी, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को अग्नि में जलाने का आदेश दिया. लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर समाप्त हो गई. इस घटना की स्मृति में होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version