Holi 2025 Date: बिहार में 13 को होलिका दहन और 15 मार्च को मनेगी होली, मिथिला और बनारस पंचांग से दूर करें कंफ्यूजन

Holi 2025 Date: राग, रंग व उमंग का त्योहार होली की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं. इस बार 13 मार्च को होलिका दहन एवं 15 मार्च को रंगोत्सव मनाया जाएगा. फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन एवं उसके अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि को रंगोत्सव का पर्व फगुआ मनाया जाता है, लेकिन तिथि में हेरफेर के चलते काशी को छोड़ रंगोत्सव पर्व होलिका दहन के एक दिन बाद 15 मार्च को मनेगा.

By Radheshyam Kushwaha | March 11, 2025 7:35 AM
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Holi 2025 Date: बिहार में इस वर्ष 13 मार्च को होलिका दहन होगा. इस दिन 10 बजकर 45 मिनट रात्रि के बाद होलिका दहन का शुभ मुहुर्त है. आचार्य राजनाथ झा ने बताया कि शास्त्र के अनुसार भद्रा में दो काम करना निषिद्ध माना गया. एक रक्षाबंधन और होलिका दहन. रक्षाबंधन मनाने पर राज का नाश होता है, जबकि होलिका दहन करने से गांवों में अग्नि दहन होता है. इसलिए 10 बजकर 45 मिनट के बाद भद्रा समाप्ति के बाद होलिका दहन करना धर्म शास्त्रों के अनुसार उचित है. 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि रहेगी. अत: स्नान, दान और अपने इष्ट देवी-देवताओं को सिंदूर, विशेष भाग अर्पित किया जायेगा. 15 को प्रात: काल के प्रतिपाद में होलिका का भस्म धारण कर उत्साह, उमंग और सौहार्द पूर्वक होली खेली जायेगी.

लोगो में संशय की स्थिति

आचार्य राकेश झा ने बताया कि होली को लेकर लोगो में संशय की स्थिति बनी हुई है, लेकिन होलिका दहन को लेकर मिथिला एवं बनारस दोनों ही पंचांग में 13 मार्च गुरुवार को बताया गया है. फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा दो दिन होने से होलिका दहन के एक दिन बाद होली का पर्व मनाया जायेगा. फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च को तथा स्नान-दान की पूर्णिमा 14 मार्च को होगी. फाल्गुन की पूर्णिमा गुरुवार की सुबह 10 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रहा है और भद्रा भी उसी समय से आरंभ हो रहा है. 14 मार्च को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11 बजकर 22 मिनट तक ही है. उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में तीन नियम बतलाये गये हैं. पहला पूर्णिमा तिथि, दूसरा भद्रा मुक्त काल व तीसरा रात्रि का समय होना चाहिए. रंगोत्सव का पर्व होली उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनाया जाता है. प्रेम, सौहार्द, भाईचारा का प्रतीक व रंगों का पर्व होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च शनिवार को मनायी जायेगी.

होलिका दहन की पूजा विधि

होलिका दहन से पहले स्नान करके पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं. फिर गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाकर थाली में रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल, बताशे और कलश में पानी भरकर रख लें. इसके बाद होलिका की पूजा करें और पूजा की सामग्री को अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान नरसिंह और विष्णुजी का नाम लेकर पांच अनाज अर्पित करें. फिर प्रह्लाद का नाम लेकर अनाज के दाने और फूल अर्पित करें. इसके बाद कच्चा सूत लेकर होलिका की सात परिक्रमा करें और अंत में गुलाल डालकर जल अर्पित करें. होलिका दहन के बाद उसमें कच्चे आम, सप्तधान्य, नारियल, मुट्टे, मूंग, चना, चावल आदि चीजें अर्पित कर दें. हृषिकेश पंचाग व महावीर पञ्चाङ्ग के अनुसार 14 मार्च को काशी में होली मनाई जाएगी. मान्यता है कि प्रतिपदा तिथि में होली मनाई जाती है और यह तिथि 14 को आरंभ हो जा रही है. होली 15 मार्च शनिवार को मनाई जायेगी चूंकि 14 मार्च शुक्रवार को दिन में 11 बजकर 12 मिनट तक ही पूर्णिमा तिथि रहेगी इसके बाद प्रतिपदा तिथि आरम्भ होगी और होली प्रतिपदा में ही मनाने का विधान है इसलिए 15 मार्च शनिवार को होली मनाई जायेगी.

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