Holika Dahan 2025: होलिका दहन हिंदू धर्म का एक प्रमुख उत्सव है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. यह पर्व फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि को मनाया जाता है, और इसके अगले दिन रंगों का उत्सव होली धूमधाम से मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि पूर्वक होलिका का पूजन और दहन करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है. आइए, होलिका पूजन और दहन की सम्पूर्ण विधि के बारे में जानते हैं.
होलिका पूजन का महत्व
होलिका दहन की परंपरा भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से संबंधित है. पौराणिक कथा के अनुसार, जब राक्षसराज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका की गोद में बिठाया, तो अग्नि में होलिका जलकर भस्म हो गई और भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे. इस घटना को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है.
पवित्र अग्नि में अपवित्र वस्तुएं न डालें, जानें होलिका दहन के धार्मिक नियम
होलिका पूजन की सम्पूर्ण विधि
शुभ मुहूर्त देखें
होली का त्योहार 13 मार्च को मनाया जाएगा. इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 10:35 बजे से शुरू होगी, लेकिन 10:36 बजे से भद्रा का आरंभ हो जाएगा, जो रात 11:31 बजे तक जारी रहेगा. इस कारण होली पर भद्रा का प्रभाव रहेगा. इसलिए, रात 11:32 से 12:37 बजे तक होली का पूजन और दहन करने का शुभ समय है.
ज्योतिषाचार्य डॉ. एन के बेरा ने बताया कि इस बार होली पर भद्रा का प्रभाव रहेगा, क्योंकि पूर्णिमा के साथ ही 13 मार्च की सुबह 10:36 बजे भद्रा का आरंभ होगा, जो रात 11:31 बजे तक चलेगा.
पूजन की आवश्यक सामग्रियां
होलिका पूजन करने के लिए निम्नलिखित सामग्रियों की आवश्यकता होती है:
- गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति
- गंगाजल
- रोली, अक्षत (चावल)
- फूल, माला
- नारियल
- सूखे नारियल के टुकड़े
- गुड़, कच्चा सूत
- हल्दी, चंदन
- गेंहूं की बालियां और चना
- कपूर और घी का दीपक
होलिका पूजन की प्रक्रिया
- स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें – होलिका पूजन आरंभ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें, साथ ही मन को शुद्ध करके पूजा की तैयारी करें.
- होलिका की स्थापना करें – पूजा स्थल पर गोबर से निर्मित होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति स्थापित करें.
- गंगाजल से शुद्धिकरण करें – पूजा स्थल और होलिका को गंगाजल से पवित्र करें.
- चंदन और माला अर्पित करें – होलिका और प्रह्लाद को चंदन, फूल और माला अर्पित करें.
- कच्चा सूत लपेटें – होलिका के चारों ओर कच्चा सूत (धागा) तीन या सात बार लपेटें.
- धूप और दीप जलाएं – घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूप-अगरबत्ती लगाएं.
- नैवेद्य अर्पित करें – गुड़, नारियल, गेहूं की बालियां, और चना अर्पित करें.
- आरती करें – होलिका की आरती करें और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें.
होलिका दहन की विधि
होलिका दहन का शुभ समय
होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है. भद्रा काल में होलिका दहन करना निषिद्ध है, इसलिए उचित समय का चयन करके ही अग्नि प्रज्वलित करें.
अग्नि प्रज्वलित करना
होलिका पूजन के उपरांत अग्नि को प्रज्वलित करें. इसे जलाने के लिए आम की लकड़ी, गोबर के उपले, गेहूं की बालियां और घी का उपयोग करें.
होलिका की परिक्रमा
होलिका दहन के बाद परिवार के सभी सदस्य उसकी परिक्रमा करें और गेहूं की बालियां अग्नि में अर्पित करें. ऐसा करने से पूरे वर्ष घर में समृद्धि बनी रहती है, यह मान्यता है.
होलिका की भस्म को घर लाना
होलिका दहन के बाद बची हुई भस्म को घर लाना शुभ माना जाता है. इसे घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता बनी रहती है.
होलिका दहन के समय ध्यान देने योग्य बातें
- होलिका दहन के लिए केवल सूखी लकड़ियों का उपयोग करें, प्लास्टिक और हानिकारक पदार्थों से बचें.
- दहन स्थल पर अग्नि सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें और बच्चों को आग के निकट जाने से रोकें.
- होलिका पूजन के अवसर पर यह संकल्प लें कि हम नकारात्मकता और बुरी आदतों को त्यागकर अपने जीवन में सकारात्मकता को अपनाएंगे.
- महिलाओं और वृद्धजनों के प्रति सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और समाज में सद्भावना को बनाए रखें.
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