Jagannath Rath Yatra 2024: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आज है. पूरी में भगवान जग्गनाथ रथयात्रा शुरू हो गई है. आज भगवान जगन्नाथ और बलदाऊ जी अपनी बहन सुभद्रा संग रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकल गए है. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर अभिषेक-स्नान के बाद जगत के स्वामी की तबीयत खराब हो गई थी. स्नान पूर्णिमा पर बीमार हुए भगवान जगन्नाथ आज सुबह ठीक हो गए है. 53 साल बाद इस साल पुरी की रथयात्रा दो दिनों की होगी, इससे पहले 1971 में भी रथयात्रा दो दिन चली थी. रथ यात्रा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में साधु-संत पहुंचे है.
ठाकुरजी की आरती के बाद उतारी जाएगी नजर
रथयात्रा में सबसे पहले बलभद्र का रथ खींचा गया. रथ रुक-रुक कर आगे बढ़ रहा था. कुछ देर बाद अब सुभद्रा और जगन्नाथ जी का रथ खींचा गया. सूर्यास्त तक ही रथयात्रा चली. इसके बाद रथ को रोक दिया गया है. अब कल सुबह आठ बजे से रथयात्रा फिर शुरू होगी. रथयात्रा में हाथी, घोड़े, डमरू दल, बैंड पार्टी के साथ ध्वज पताकांए चल रही थी. गुलाब व मोगरा के फूलों से ठाकुरजी का श्रृंगार किया गया है. वहीं गेंदे के फूलों से रथ को सजाया गया है. यात्रा समाप्ति के बाद ठाकुरजी की आरती व नजर उतारी गई. इसके बाद मूंग की दाल, गुड़ एवं फलों का भोग लगाकर भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण किया जाएगा.
इन दो शुभ योग में प्रारंभ होगा जगन्नाथ रथ यात्रा
जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारंभ दो शुभ योग में हुआ. आज रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग हैं. आज आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, पुष्य नक्षत्र, हर्षण योग, बालव करण, पश्चिम का दिशाशूल, रविवार दिन और कर्क राशि का चंद्रमा है. रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग दोनों ही अत्यंत शुभ योग हैं. इन दो शुभ योग में जगन्नाथ रथ यात्रा प्रारंभ हुआ.
एक दर्जन स्थान से निकली रथयात्रा
शहर के एक दर्जन से ज्यादा जगहों से रथ यात्राएं निकाली हैं, जिसमें मुख्य रूप से रामबाग मंदिर, बिहारी जी मंदिर, श्रीदेव राधा माधवलाल गेड़ाजी मंदिर, चकराघाट स्थित धनुषधारी मंदिर, केशवगंज वार्ड स्थित राधा-कृष्ण मंदिर, सत्यनारायण मंदिर से भगवान रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए निकली.
सतरंगी फूलों से सजेंगे बाल द्वारकाधीश
श्री द्वारकाधीश मंदिर में भगवान द्वारकाधीश बाल रूप में विराजमान हैं. यहां पर रथयात्रा से पहले भगवान द्वारिकाधीश का पंचामृत अभिषेक कर वृंदावन से आई पोशाक से श्रृंगार किया गया. आज दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक भगवान द्वारकाधीश रथ में सवार होकर मंदिर प्रांगण में भ्रमण किए. इसके बाद मालपुआ का भोग लगाकर भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण किया गया.
सूर्यास्त के बाद नहीं खींचे जाएंगे रथ
रथ को सूर्यास्त तक ही खिंचा गया. सूर्यास्त होने पर रथ को रोक दिया गया है. रथों पर ही भगवान का नित्य पूजन किया जा रहा है, इसमें संध्या आरती, भोग लगेगा. इसके बाद शयन आरती होगी. सोमवार सुबह फिर से रथ खींचे जाएंगे और शाम तक गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएंगे.
क्यों खास है जगन्नाथ मंदिर?
जगन्नाथ मंदिर पवित्र चार धामों में से एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. उड़ीसा के पुरी में इस यात्रा के दौरान देश-विदेश से लाखों लोग भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए आते है. भारत के 4 विभिन्न कोनों में स्थित पवित्र मंदिरों में से जगन्नाथ मंदिर भी एक है. तीन और मंदिर – दक्षिण में रामेश्वरम्, पश्चिम में द्वारका और हिमालय में बद्रीनाथ है. जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा तीनों भाई -बहन की मूर्तियां एक साथ स्थापित है. जगन्नाथ मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय का है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है. इस मन्दिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है, इसमें मन्दिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं.
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