– धैर्य और मर्यादा का पाठ – श्रीराम से
जय किशोरी जी कहती हैं कि श्रीराम केवल राजा नहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. उन्होंने हर कठिन परिस्थिति में धैर्य, शील और धर्म का पालन किया.
जीवन में जब विपरीत समय आए, तो श्रीराम की तरह संयम और मर्यादा से चलना चाहिए. यही सच्चे चरित्र की पहचान है.
– भक्ति का सर्वोच्च आदर्श – भक्त प्रहलाद से
भागवत कथा में प्रह्लाद की भक्ति यह सिखाती है कि जब मन परमात्मा से जुड़ जाता है, तो संसार की कोई भी शक्ति उसे डिगा नहीं सकती.
जय किशोरी जी बताती हैं कि अडिग भक्ति ही वह शक्ति है जो नर को नारायण से जोड़ती है.
– सेवा भाव – हनुमान जी से सीखें
रामायण में हनुमान जी केवल शक्तिशाली नहीं, वे निस्वार्थ सेवक भी हैं. उन्होंने कभी भी अपने बल का घमंड नहीं किया, बल्कि हर कार्य प्रभु श्रीराम को समर्पित किया.
जीवन में सफलता चाहिए, तो सेवा, विनम्रता और समर्पण को जीवन का अंग बनाएं.
– कर्म और धर्म का संतुलन – श्रीकृष्ण से
भागवत कथा में श्रीकृष्ण का जीवन कर्मयोग का अद्भुत उदाहरण है. वे बालक, मित्र, राजा, और गुरु – हर रूप में धर्म का पालन करते हैं.
जय किशोरी जी कहती हैं कि हमें श्रीकृष्ण से सीखना चाहिए कि प्रेम के साथ कर्म करना ही सच्चा धर्म है.
– श्रवण और सत्संग की महिमा – विदुर और उद्धव से
भागवत में विदुर, उद्धव और शुकदेव जी जैसे पात्र सत्संग और ज्ञान की शक्ति को दर्शाते हैं.
जय किशोरी जी बताती हैं कि सच्चे ज्ञान का संग और शास्त्रों का श्रवण जीवन को मोक्ष की ओर ले जाता है.
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रामायण और भागवत कथा केवल कथा नहीं, जीवन की शिक्षाएं हैं. जय किशोरी जी के अनुसार, जो इन ग्रंथों के मूल भाव को समझ लेता है, उसका जीवन धर्ममय, शांत और सफल हो जाता है.