– प्रतिदिन नामस्मरण करें
जया किशोरी जी कहती हैं कि श्रीकृष्ण के नाम का जप ही आत्मा को भगवान से जोड़ने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है. “हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे” — यह महामंत्र मन, वाणी और हृदय को शुद्ध करता है. हर दिन कम से कम 10-15 मिनट मन से श्रीकृष्ण का नाम जप करें. यह अभ्यास आपको प्रभु से धीरे-धीरे जोड़ता है.
– भाव से भक्ति करें, दिखावे से नहीं
भगवान को रीतियों से नहीं, भावना से जोड़ा जा सकता है. जया किशोरी जी कहती हैं कि ईश्वर को पाने के लिए आंखों में आंसू और मन में प्रेम होना चाहिए, न कि बड़े आयोजन या दिखावे. सच्चे मन से जब भी श्रीकृष्ण का स्मरण करें, तो अपनी भावनाएं व्यक्त करें. प्रभु से संवाद करें जैसे एक सच्चे मित्र से करते हैं.
– भजन और कीर्तन का अभ्यास करें
संगीत और भक्ति का मेल आत्मा को अत्यंत आनंद देता है. जया किशोरी जी स्वयं भी भजन-कीर्तन के माध्यम से प्रभु भक्ति का प्रचार करती हैं. प्रतिदिन श्रीकृष्ण के भजनों को सुनें या गाएं. इससे मन में शांति और आत्मा में भक्ति जागृत होती है.
– कथा श्रवण और सत्संग में भाग लें
जया किशोरी जी बताती हैं कि भगवत कथा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा का पोषण है. श्रीकृष्ण की लीलाओं का श्रवण हमें जीवन जीने की कला सिखाता है. नियमित रूप से भागवत कथा, श्रीमद्भागवत गीता या सत्संग सुनें. इससे मन श्रीकृष्ण के गुणों में रमने लगता है.
– सेवा और विनम्रता अपनाएं
भगवान श्रीकृष्ण को सेवा और विनम्रता बहुत प्रिय है .जया किशोरी जी कहती हैं कि दूसरों की सेवा में ही सच्चा भक्ति मार्ग छिपा है. छोटे-छोटे कामों में दूसरों की सहायता करें, बड़ों का सम्मान करें, और जरूरतमंदों को मदद दें. यह कर्म श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है.
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श्रीकृष्ण से जुड़ने के लिए कोई बड़ी पूजा, माला या यज्ञ आवश्यक नहीं है. जैसे जया किशोरी जी कहती हैं — “प्रेम से पुकारो, कृष्ण दौड़े चले आएंगे” यदि मन में श्रद्धा है, हृदय में प्रेम है और जीवन में सेवा है, तो भगवान श्रीकृष्ण स्वयं आपके जीवन में प्रकट होंगे. बस जरूरत है निरंतर भक्ति और सच्चे संकल्प की.