Kanya Sankranti 2025: इस वर्ष कब पड़ रही है कन्या संक्रांति? देखें पंचांग अनुसार तिथि और पूजा का समय

Kanya Sankranti 2025: साल 2025 में कन्या संक्रांति तब मनाई जाती है जब सूर्य सिंह से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे. इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक होता है. पंचांग के अनुसार जानें इस शुभ तिथि का महापुण्य काल, पूजा विधि और दान करने के उत्तम कार्य.

By Shaurya Punj | August 1, 2025 1:17 PM
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Kanya Sankranti 2025: सनातन धर्म में संक्रांति तिथि को अत्यंत शुभ और फलदायक माना गया है. जब सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन को “संक्रांति” कहा जाता है. इसी कड़ी में जब सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, तो वह दिन कन्या संक्रांति कहलाता है. यह घटना न केवल ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से भी विशेष मानी जाती है.

साल 2025 में कन्या संक्रांति और विश्वकर्मा पूजा एक ही दिन आने से इस दिन का महत्व और बढ़ गया है. विशेष रूप से इंजीनियरिंग, तकनीकी और निर्माण क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह दिन अत्यंत पवित्र और फलदायक होगा.

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कन्या संक्रांति 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • संक्रांति प्रवेश: 17 सितंबर 2025, रात 01:54 बजे
  • पुण्य काल: सुबह 05:36 बजे से दोपहर 11:44 बजे तक
  • महापुण्य काल: सुबह 05:36 बजे से 07:39 बजे तक
  • सूर्योदय: 05:36 AM | सूर्यास्त: 05:51 PM
  • ब्रह्म मुहूर्त: 04:02 से 04:49 बजे
  • विजय मुहूर्त: 01:46 से 02:35 PM
  • गोधूलि बेला: 05:51 से 06:15 PM
  • निशीथ काल: 11:20 से 12:07 AM

कन्या संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व

कन्या संक्रांति पर सूर्य का गोचर कन्या राशि में होता है, जो बुद्धि, सेवा, व्यवस्था और कर्म का प्रतीक मानी जाती है. यह दिन सकारात्मक ऊर्जा, आत्मशुद्धि और कर्मयोग की भावना को बढ़ाने वाला होता है.

इस बार यह तिथि विश्वकर्मा पूजा के साथ होने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है. जो लोग मशीनरी, तकनीकी या कारीगरी से जुड़े हैं, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से लाभकारी माना गया है.

पूजन एवं दान विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • पूर्व दिशा की ओर मुख कर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें.
  • पूजा स्थल और कार्यस्थल को स्वच्छ करके दीपक और पुष्प अर्पित करें.
  • लाल वस्त्र, तिल का तेल, घी, गुड़ आदि का दान करें.
  • आध्यात्मिक मंत्रों का जप करें जैसे –
  • “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
  • परिवार सहित सात्विक भोजन बनाएं और जरूरतमंदों में बांटें.
  • क्रोध, विवाद और अहंकार से दूर रहें.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594 / 9545290847

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