Kawad Yatra 2025: सावन में गूंजेंगे ‘बोल बम’, जानें कब से शुरू होगी कांवड़ यात्रा

Kawad Yatra 2025:सावन 2025 की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा का पावन पर्व भी आरंभ होगा. ‘बोल बम’ के जयकारों के साथ शिव भक्त गंगाजल लाने के लिए निकलेंगे. यह यात्रा न केवल आस्था, बल्कि तप, संयम और भक्ति का प्रतीक है. जानिए इसकी शुरुआत की सही तारीख और महत्व.

By Shaurya Punj | July 7, 2025 8:12 AM
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कांवड़ यात्रा श्रद्धा, समर्पण और धार्मिक आस्था का प्रतीक मानी जाती है. हर साल सावन के पवित्र महीने में लाखों शिव भक्त यह यात्रा करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भक्तगण “बोल बम” के जयकारों के साथ पवित्र नदियों से गंगाजल भरते हैं और पैदल यात्रा कर शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं. इस यात्रा का उद्देश्य केवल शिवभक्ति नहीं, बल्कि आत्म अनुशासन और तपस्या का अनुभव भी होता है. कांवड़ यात्रा का धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है. हालांकि, इस बार कांवड़ यात्रा 2025 को लेकर लोगों के मन में यह सवाल बना हुआ है कि इसकी सही शुरुआत तिथि क्या है. तो आइए इस लेख में जानते हैं कांवड़ यात्रा 2025 की सही तारीख और इससे जुड़ी जरूरी जानकारी.

कांवड़ यात्रा 2025 कब से शुरू होगी?

वर्ष 2025 में सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई (शुक्रवार) से हो रही है. इसी दिन से कांवड़ यात्रा का भी औपचारिक शुभारंभ होगा. यह यात्रा 6 सितंबर 2025 (अनंत चतुर्दशी) तक चलेगी. इस दौरान भक्त देशभर के प्रमुख शिवधामों में जल अर्पण कर शिव कृपा पाने का प्रयास करते हैं.

Sawan 2025 में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पहले जान लें ये नियम

उत्तर भारत के कई राज्यों—उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली और हरियाणा—में यह यात्रा विशेष श्रद्धा और धूमधाम से निकाली जाती है. श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख और देवघर जैसे तीर्थ स्थलों से गंगाजल भरकर पैदल यात्रा करते हैं और अपने इष्ट शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं.

कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान कालकूट विष निकला था, तो भगवान शिव ने संपूर्ण सृष्टि की रक्षा हेतु उसे अपने कंठ में धारण किया था. तब देवताओं ने उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए गंगाजल अर्पित किया. उसी परंपरा का अनुसरण करते हुए आज भी श्रद्धालु सावन में गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.

कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्ति, आत्मसंयम और समर्पण का गहरा प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन और नियमों का पालन करते हुए यह यात्रा करते हैं, उन्हें मनवांछित फल प्राप्त होते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है.

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