Kharmas 2024: लगने जा रहा है खरमास, इन दिनों जरूर करें ये सारे काम
Kharmas 2024: खरमास के आगमन के कारण मांगलिक कार्यों पर एक बार फिर से रोक लग जाएगी. विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों पर भी यह प्रतिबंध लागू होगा. जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तब शुभ कार्यों को वर्जित माना जाता है. आइए जानते हैं इस अवधि में किन कार्यों को करना उचित रहेगा.
By Shaurya Punj | December 13, 2024 11:03 AM
Kharmas 2024: ज्योतिष के अनुसार खरमास का विशेष महत्व है. जब सूर्य ग्रह धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की अवधि प्रारंभ होती है. इस समय के दौरान विवाह, ग्रह प्रवेश, नामकरण जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, क्योंकि माना जाता है कि इस अवधि में सूर्य देव की ऊर्जा में कमी आ जाती है. इसीलिए खरमास में किसी भी शुभ कार्य का फल सकारात्मक नहीं होता है. हालांकि, खरमास के दौरान शुभ या मांगलिक कार्यों से बचा जाता है, फिर भी कुछ विशेष उपायों के माध्यम से सूर्य देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है.
ज्योतिष के अनुसार खरमास का अत्यधिक महत्व होता है. जब सूर्य ग्रह धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की अवधि शुरू होती है. इस समय के दौरान विवाह, ग्रह प्रवेश, नामकरण जैसे शुभ कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है, क्योंकि यह माना जाता है कि इस अवधि में सूर्य देव की ऊर्जा में कमी आ जाती है. इसलिए खरमास में किसी भी शुभ कार्य का परिणाम सकारात्मक नहीं होता है. हालांकि, खरमास के दौरान शुभ या मांगलिक कार्यों से परहेज किया जाता है, फिर भी कुछ विशेष उपायों के माध्यम से सूर्य देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है.
खरमास के समय भगवद्भक्ति के अंतर्गत प्रत्येक दिन प्रातः जल्दी स्नान करके व्यक्ति को नियम और संयम के साथ पूजापाठ करना चाहिए. इस अवधि में प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना, सूर्य मंत्रों का जाप करना और कम से कम तीन बार परिक्रमा करना आवश्यक है. खरमास में जप, तप और दान का महत्व है, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है और ईश्वर के आशीर्वाद से जीवन के कष्टों का निवारण होता है. इस समय गाय, गुरु, ब्राह्मण और संन्यासियों की सेवा अपनी सामर्थ्य के अनुसार करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. खरमास में तीर्थ स्थलों की यात्रा कर पूजा-पाठ करना अनिवार्य है. यदि यात्रा संभव न हो, तो घर के निकटतम धार्मिक स्थल पर जाकर पूजा अवश्य करनी चाहिए. खरमास में तुलसी जी की पूजा करना भी आवश्यक है, किंतु मंगलवार, रविवार और एकादशी के दिन इसे छोड़ने की मान्यता है.