Lalita Saptami 2024: कल है ललिता सप्तमी, जानें भगवान कृष्ण से कैसे संबंधित है ये त्योहार

Lalita Saptami 2024: ललिता सप्तमी एक हिंदू त्यौहार है जो देवी ललिता देवी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो राधा रानी और भगवान कृष्ण की सखी हैं. यहां जानें ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा से कि ललिता सप्तमी कब मनाई जाएगी और इसका महत्व क्या है

By Shaurya Punj | September 9, 2024 8:14 AM
feature

Lalita Saptami 2024:  ललिता सप्तमी श्री ललिता देवी के सम्मान में मनाई जाती है. ललिता सप्तमी श्री ललिता देवी का प्राकट्य दिवस है, जो श्री राधा देवी की प्रिय सखी थीं. ललिता देवी विशाखा के साथ श्री राधा के प्रति सबसे समर्पित गोपियों में से एक थीं. यहां जानें ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा से कि ललिता सप्तमी कब मनाई जाएगी और इसका महत्व क्या है

Skand Shashthi 2024: आज मनाया जा रहा है स्कंद षष्ठी का त्योहार, जानें क्या है शुभ मुहूर्त

कब है ललिता सप्तमी ?

ललिता सप्तमी मंगलवार, 10 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. भारत में कुछ स्थानों पर, यह बहुत ही शुभ दिन है और इसका बहुत महत्व है.

ललिता सप्तमी का महत्व क्या है ?

ललिता सप्तमी राधा अष्टमी के अवसर से ठीक एक दिन पहले और जन्माष्टमी के त्योहार के 14 दिन बाद होती है .ललिता देवी श्री राधारानी और भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय थीं. वह उन दोनों के पास बैठती थीं और रासलीला के आसपास अन्य गोपियों को शरारती ढंग से खेलते हुए देखती थीं. वह राधा-कृष्ण दोनों के प्रति प्रेमपूर्ण भाव रखती थीं, लेकिन उनका झुकाव राधारानी की ओर अधिक था.

ललिता सप्तमी मनानी की विधि क्या है ?

सुबह स्नान के बाद गणेश जी का ध्यान करना चाहिए.

फिर दिन में गणेश जी, देवी ललिता देवी, देवी पार्वती, देवी षष्ठी, कारिक, शिव और शालिग्राम की पूजा की जाती है.

नारियल, चावल, हल्दी, चंदन, गुलाल, फूल और दूध देवताओं को प्रसाद के रूप में दिया जाता है. (अधिकांश लोग केवल फूल ही चढ़ाते हैं). कुछ क्षेत्रों में पूजा कक्ष में तांबे का बर्तन रखा जाता है.

पूजा क्षेत्र में लाल धागा या मौली रखी जाती है. प्रार्थना के बाद इसे दाहिने हाथ में पहना जाता है.

उपवास सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक होता है. दिन में एक बार ही भोजन किया जाता है. कामकाजी महिलाओं, पढ़ाई करने वालों और चिकित्सा समस्याओं वाले लोगों को उपवास नहीं करना चाहिए. उन्हें केवल प्रार्थना करनी चाहिए.

अगले दिन सुबह प्रार्थना करने के बाद उपवास तोड़ा जाता है. देवताओं को चढ़ाया गया फल प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version