Magh Gupt Navratri 2025: नवरात्रि पुरे एक साल मे चार बार आती है,चैत्र और शारदीय नवरात्रि बाकि दो नवरात्रि माघ और आषाढ़ के समय आती है,जिन्हें गुप्त नवरात्रि के रूप मे जाना जाता है.इस साल गुप्त नवरात्रि की शुभारंभ 30 जनवरी 2025 से होगा.
माघ गुप्त नवरात्रि 2025 तिथि
Magh Gupt Navratri 2025: माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाने की मान्यता है. इस बार इसका शुभारंभ 30 जनवरी 2025, गुरुवार से लेकर 07 फरवरी 2025, शुक्रवार को समाप्त होगा, इस दौरान जिन 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है वह कुछ इस प्रकार हैं- मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी.
माघ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा को इस महाआरती से करें प्रसन्न
गुप्ता नवरात्रि मे 10 महाविधियों की पूजा अर्चना की जाती है , जो तांत्रिक, अघोरी गुप्त नवरात्रि मे तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्ति करने के लिए करते है. वही चैत्र और शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 रूपों का पूजा अर्चना किया जाता है सभी नवरात्रि का शुभारंभ वैदिक पंचांग के अनुसार कलश स्थापना से शुभारंभ किया जाता है.
इन देवियों की होती है नवरात्रि में साधना
इन नवरात्रियों के दौरान देवी साधना से देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और इच्छित फल प्रदान करती हैं। साधना की गोपनीयता जितनी अधिक होगी, फल भी उतना ही शीघ्र प्राप्त होगा। मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी देवी, भुनेश्वरी देवी, मां धूम्रावती, बगलामुखी माता, मातंगी माता और देवी कमला की गुप्त नवरात्रि में पूजा की जाती है। इन दिनों मंत्र जाप, श्री दुर्गा सप्तशती और हवन के माध्यम से देवी की साधना की जाती है। यदि आप हवन या अन्य कर्मकांड करने में असहज महसूस करते हैं, तो आप नौ दिनों का किसी भी प्रकार का संकल्प ले सकते हैं, जैसे सवा लाख मंत्रों का जाप कर अनुष्ठान करना। इसके अतिरिक्त, राम रक्षा स्त्रोत, देवी भागवत आदि का नौ दिन का संकल्प लेकर पाठ भी किया जा सकता है। अखंड जोत जलाकर साधना करने से माता प्रसन्न होती हैं।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
30 जनवरी 2025 को माघ गुप्त नवरात्रि की कलश स्थापना का शुभारंभ होगा जो सुबह 09 बजकर 25 मिनट 10 बजकर 46 मिनट तक होगा.वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.इस दिन श्रवण और घनिष्ठ नक्षत्र के साथ व्यतीपात योग भी बन रहा हैं,जो पूजा के लिए शुभ माना जाता है.
घट स्थापना और पूजा अर्चना करने की विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
- पूजा घर की सफाई करें.
- एक वेदी पर देवी की प्रतिमा स्थापित करें.
- कलश स्थापना मुहूर्त के अनुसार करें.
- देसी घी का दीपक जलाएं और लाल गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें.देवी को लाल फूल चढ़ना शुभ माना गया है.
- लाल या पिला सिंदूर अर्पित करें.
- पंचामृत, नारियल चुनरी, फल मिठाई आदि का भोग लगाएं.
- पूजा का समापन आरती और दुर्गा चालीसा से करें.
- इस पवित्र अवधि में तामसिक भोजन से दूर रहें.
- अंत में माता रानी से क्षमा याचन करे.
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