Mahakumbh अगला महाकुंभ मेला कब और कहां लगेगा? जानें इतिहास

Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला एक धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है.यह मेला समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है, विशेष रूप से बृहस्पति के कुंभ राशि में प्रवेश पर होता है. अगला महाकुंभ 2169 में प्रयागराज में होगा.

By Gitanjali Mishra | January 24, 2025 9:45 PM
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Mahakumbh 2025: कुंभ मेला सनातन धर्म का एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है ,जो हर 12 साल पर लगता है.इस बार महाकुंभ प्रयागराज में लगा है जिसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हो चुकी है, जिसका समापन 26 फरवरी 2025 को होगा. इस मेले का आयोजन खासतौर पर चार पवित्र स्थानों पर होता है – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक.इन स्थानों को पवित्र माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया था तब यहां पर अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों पर ही क्यों होता है.

कुंभ मेला क्यों आयोजित होता है?

Mahakumbh 2025: कुंभ मेला का आयोजन हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है,पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया था, जिससे अमृत का कलश (कुंभ) निकला था, वहीं इस अमृत को असुरों से बचाने के लिए देवता भागे और भागते समय अमृत की कुछ बूंदें कुंभ से छलक कर इन चार स्थानों – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिर गई ,इसलिए, इन स्थानों को पवित्र माना जाता है और इन जगहों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाने लगा.

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कुंभ मेला का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है?

कुंभ मेला का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को आत्म शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का अवसर देना है, मान्यता है कि इस मेले के दौरान गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है ,साथ ही कुंभ मेला साधु-संतों, गुरुओं और भक्तों के मिलन का एक बड़ा केंद्र है, जहां लोग भक्ति, ज्ञान और सेवा सनातन धर्म का आदान-प्रदान करते हैं.यह मेला आस्था,श्रद्धा और ध्यान के लिए भी अधिक मान्यता है.

कुंभ मेला हर 12 साल में क्यों लगता है?

कुंभ मेला का आयोजन खगोलीय घटनाओं के आधार पर किया जाता है,जब बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मकर राशि में , तब कुंभ मेला आयोजित होता है, बृहस्पति को अपनी कक्षा में प्रवेश करने में 12 साल का समय लगता है, इसलिए कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है. हिंदू ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियां होती हैं, और जब बृहस्पति और सूर्य इन राशियों में आते हैं, तब यह मेला आयोजित होता है.

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अगला महाकुंभ कब और कहां लगेगा?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है कि अगला महाकुंभ 2169 में प्रयागराज में अयोजित होगा.महाकुंभ का आयोजन 12 साल के लंबे अंतराल के बाद होता है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है,साथ ही इस बीच कुंभ, अर्धकुंभ और पूर्ण कुंभ भी हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में होते रहेंगे. आपको बता दें कि अगला कुंभ 2027 में नासिक में लगेगा, 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ होगा और 2030 में प्रयागराज में अर्धकुंभ का आयोजन होगा.

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