Mahesh Navami 2025 आज, ऐसे करें शिव पार्वती की आराधना
Mahesh Navami 2025: आज 4 जून 2025 को महेश नवमी का पवित्र उत्सव मनाया जा रहा है. यह दिन भगवान शिव के 'महेश' रूप को समर्पित है. विशेष रूप से माहेश्वरी समाज के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन भगवान शिव के भक्तों के लिए भी यह दिन साधना, पूजा और प्रगति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान महेश की विधिपूर्वक पूजा करने से व्यापार में उन्नति, परिवार में सुख-शांति और जीवन में इच्छित लक्ष्यों की प्राप्ति जल्दी होती है.
By Shaurya Punj | June 4, 2025 7:45 AM
Mahesh Navami 2025: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी के दिन व्रत रखने और भगवान शिव एवं माता पार्वती की श्रद्धा से पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और संतुलन बना रहता है. इस दिन व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति, अच्छा स्वास्थ्य और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि यह व्रत पितृ दोष, विवाह में आ रही रुकावटें और पारिवारिक क्लेश को दूर करता है. हालांकि यह पर्व विशेष रूप से माहेश्वरी समाज द्वारा मनाया जाता है, लेकिन शिव भक्तों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है और सभी श्रद्धालु इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करके उनके कृपापात्र बन सकते हैं.
महेश नवमी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार महेश नवमी का पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. वर्ष 2025 में यह पर्व 4 जून, बुधवार को मनाया जाएगा. नवमी तिथि की शुरुआत 3 जून 2025 को रात 9:56 बजे से होगी और इसका समापन 4 जून 2025 को रात 11:54 बजे होगा.
चूंकि नवमी तिथि का उदयकाल 4 जून को होगा, इसलिए महेश नवमी का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा. खास बात यह है कि इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ योगों का भी संयोग बन रहा है, जो पूजा-पाठ, व्रत और धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत मंगलकारी माना जाता है.
महेश नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
महेश नवमी की पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त को विशेष रूप से श्रेष्ठ माना गया है. वर्ष 2025 में यह मुहूर्त 4 जून को सुबह 4:02 बजे से 4:43 बजे तक रहेगा. इस शुभ समय में भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से अत्यंत पुण्य की प्राप्ति होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
महेश नवमी पूजा विधि
इस दिन प्रातः काल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें.
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें.
एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियाँ स्थापित करें.
सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, फिर शिवजी को गंगाजल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करें.
माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें.
फिर एकाग्र चित्त होकर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें.
इसके बाद महेश नवमी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें.
भगवान को खीर या मौसमी फलों का भोग लगाएं.
यदि संभव हो तो इस दिन रुद्राभिषेक अवश्य करें, यह विशेष फलदायी होता जाता है.
अंत में शिव-पार्वती की आरती करें और उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरित करें.
महेश नवमी पूजा के फायदे
इस विधि से पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति, संतान सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है. महेश नवमी का व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का अद्भुत अवसर माना जाता है.