आज मनाई जा रही है मकर संक्रांति , जानें इस दिन क्यों बनाई जाती है खिचड़ी

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का पर्व आज 14 जनवरी 2025 को मनाया जा रहा है. मकर संक्राति को कई जगहों पर खिचड़ी के नाम से जाना जाता है और खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है.

By Shaurya Punj | January 14, 2025 4:30 AM
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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन स्नान के साथ दान का विशेष महत्व है. तिल और गुड़ का दान करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और पापों का नाश होता है. इसके अतिरिक्त, तिल और गुड़ का दान शनि दोष को शांत करने में भी सहायक होता है.

मकर संक्रांति के आगमन से वातावरण में परिवर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है, क्योंकि इस पर्व से अग्नि तत्व का उदय होता है. इस समय सूर्य उत्तरायण की ओर अग्रसर होता है. इस दिन किए गए जाप और दान का फल अनंत गुना होता है. इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को मनाई जा रही है. आइए, हम आपको यहां बताने वाले हैं कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की महत्व क्या है

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का महत्व क्यों माना गया है?

आयुर्वेद में चावल को चंद्रमा के रूप में माना गया है. काली उड़द की दाल को शनि का प्रतीक माना जाता है.हल्दी बृहस्पति का प्रतीक है.नमक को शुक्र का प्रतीक माना गया है. हरी सब्जियां बुध से संबंध होती है खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य के संबंध को मजबूत बनता है इस प्रकार खिचड़ी खाने से सभी प्रमुख ग्रह मजबूत हो जाते हैं. ऐसी परंपरा है कि मकर संक्रांति के दिन नए अन्न की खिचड़ी खाने से शरीर पूरा साल आरोग्य रहता है और इस दिन पिले भोजन का ग्रहण करना शुभ माना गया है.खिचड़ी हमारे भारत का राष्ट्रीय भोजन भी है और मकर संक्रांति ये उत्सव भारत मे हर राज्य मैं अलग अलग रूप में मानते है. जिसे खिचड़ी खाने का महत्व मकर संक्रांति के दिन अधिक माना गया है.खिचड़ी दाल, चावल और सब्जियों से मिलकर बनती है, जो संतुलित और पौष्टिक आहार है.सर्दियों में शरीर को गर्म और ऊर्जा देने वाला भोजन माना गया है.वैदिक परंपरा के अनुसार इस दिन खिचड़ी खाने से सुख-समृद्धि आती है.

मकर संक्रांति का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के निवास स्थान पर जाते हैं, क्योंकि शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. इस प्रकार, यह पर्व पिता और पुत्र के अद्वितीय मिलन का प्रतीक भी है. एक अन्य कथा के अनुसार, मकर संक्रांति असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के रूप में भी मनाई जाती है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर असुरों का नाश किया और उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत में स्थापित किया. इस प्रकार, भगवान विष्णु की इस विजय को मकर संक्रांति के पर्व के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई.

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