Masan Holi: बनारस की भस्म होली में दिखेगा काशी का असली मिजाज, महादेव खुद देखते हैं नजारा

Masan Holi: बनारस में लोग चिताओं के जलने के बाद जो राख बच जाती है उससे होली खेलते हैं, और लोकमान्यताओं के अनुसार भगवान शिव खुद उस दिन मसान के घाट पर आते हैं.

By Pushpanjali | March 14, 2024 10:19 AM
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Masan Holi: भारत के वाराणसी में सदियों से होली पर एक प्रथा चली आ रही है जिसे सुनकर अधिकतर लोग हैरान रह जाते हैं. दरअसल, बनारस में लोग चिताओं के जलने के बाद जो राख बच जाती है उससे होली खेलते हैं, और लोकमान्यताओं के अनुसार भगवान शिव खुद उस दिन मसान के घाट पर आते हैं और लोगों के साथ राख से होली खेलते हैं. ऐसे में जानिए क्या है वहां की मान्यताएं.

Masan Holi: सदियों पुरानी है मसाने की होली

बनारस यानी की काशी शहर में मसाने की होली कई सौ सालों से प्रचलित है. पूरे काशी के लोग खास तौर से मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर इस दिन इकट्ठा होते हैं और धूमधाम से इस होली को मनाते हैं. अब तो यह खास दिन इतना मशहूर हो गया है कि विदेशों से भी लोग इस खास होली को देखने के लिए बनारस पहुंचते हैं. मसान की होली के एक दिन पहले रंगभरी एकादशी मनाई जाती है जिस दिन चिताओं के पास से राख को एकत्रित किया जाता है और अगले दिन उसी राख से लोग मणिकर्णिका घाट पर होली खेलते हैं. इस साल 20 मार्च, बुधवार को बनारस में रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी और ठीक एक दिन बाद 21 मार्च, गुरुवार को मसाने की होली खेली जाएगी.

Masan Holi: क्या है धार्मिक मान्यता

बनारस की चर्चित मसान होली को लेकर लोगों का ऐसा कहना है कि पुरानी मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन भगवान शिव अन्य देवी देवताओं के साथ मणिकर्णिका घाट पर अपने भक्तों को दर्शन देने आते हैं और भस्म से होली खेलते हैं, पुराने समय से ही हम ये सुनते आ रहे हैं कि भगवान शिव को भस्म बेहद ही प्रिय है और वह उसी से अपना श्रृंगार करते हैं.

Masan Holi: क्या है रंगभरी एकादशी, इस दिन क्या करें खास

पुरानी मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के बाद गौना कर के फाल्गुन माह के एकादशी के दिन काशी आए थे और इस खुशी के अवसर पर उन्होंने अपने भक्तों को दर्शन दिया था और मसाने में उनके साथ होली खेली थी, तब से काशी में इस दिन विशेष रूप से पूजा की जाती है. रंगभरी एकादशी के दिन घर पर भगवान शिव और माता पार्वती को जल से अभिषेक करवाना चाहिए और बेल पत्र अर्पित करने चाहिए. इसके बाद उनके पूरे परिवार पर अबीर गुलाल और फूलों को अर्पित करना चाहिए.

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