इसलिए मनाई जाती कालाष्टमी, जानें इसके पीछे का इतिहास और महत्व

Masik Kalashtami February 2025: कालाष्टमी हिंदू धर्म में शक्ति और साहस का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की आराधना करने से जीवन की सभी कठिनाइयां समाप्त हो जाती हैं. इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में प्रगति के मार्ग प्रशस्त होते हैं. इसके साथ ही महादेव भगवान का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.

By Shaurya Punj | February 19, 2025 8:32 AM
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Masik Kalashtami February 2025: हिंदू धर्म में कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है, जिनमें से एक प्रमुख पर्व है – कालाष्टमी. यह त्योहार भगवान शिव के भैरव रूप की पूजा से संबंधित है. कालाष्टमी का पर्व कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इसका विशेष महत्व है.

कब मनाई जाएगी मासिक कालाष्टमी

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 फरवरी 2025 को प्रातः 9 बजकर 58 मिनट पर आरंभ होगी और 21 फरवरी 2025 को प्रातः 11 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी. अतः, कालाष्टमी की पूजा 20 फरवरी 2025 को संपन्न की जाएगी.

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क्यों मनाई जाती है कालाष्टमी

इस दिन भक्तगण भगवान भैरव की विशेष पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन की गई साधना से व्यक्ति को सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है. इस दिन व्रत रखना और पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है. कालाष्टमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं भी प्रचलित हैं.

कालाष्टमी पूजा की विधि

कालाष्टमी के अवसर पर प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. भगवान काल भैरव की पूजा के लिए शिवलिंग, तांत्रिक सामग्री, पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा विधि का पालन किया जाता है. इस पूजा में विशेष रूप से बेलपत्र, धतूरा, काले तिल, काले वस्त्र, नारियल, चावल और नींबू का उपयोग किया जाता है. भक्त रात्रि में भगवान काल भैरव के मंदिर में दीप जलाते हैं और उनकी आरती करते हैं. इसके साथ ही, भैरव अष्टक, काल भैरव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है.

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