मासिक शिवरात्रि 2025 पर दुर्लभ संयोग, देखें चैत्र मास में पूजा का शुभ मुहूर्त

Masik Shivratri 2025: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मार्च में मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है. इस दिन विधिपूर्वक पूजा की जाती है और व्रत कथा सुनी जाती है. आइए, जानते हैं कि मार्च की मासिक शिवरात्रि कब है और इसका शुभ मुहूर्त क्या है?

By Shaurya Punj | March 24, 2025 2:15 PM
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Masik Shivratri 2025: पंचांग के अनुसार, हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन शिव परिवार की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है. विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है, जबकि अविवाहित महिलाओं के लिए शीघ्र विवाह के अवसर बनते हैं. इस बार मासिक शिवरात्रि पर दो विशेष संयोग बन रहे हैं.

चैत्र माह की शिवरात्रि कब मनाई जाएगी

शास्त्रों के अनुसार, इस वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 मार्च, गुरुवार को रात 11 बजकर 3 मिनट पर प्रारंभ होगी. यह तिथि 28 मार्च, शुक्रवार को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी. इस प्रकार, निशिता पूजा के मुहूर्त के अनुसार मार्च की मासिक शिवरात्रि 27 मार्च, गुरुवार को मनाई जाएगी.

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मासिक शिवरात्रि में दो शुभ योग

इस बार मार्च की मासिक शिवरात्रि की पूजा दो शुभ योगों में संपन्न होगी. मासिक शिवरात्रि के दिन प्रात: से लेकर सुबह 9 बजकर 25 मिनट तक साध्य योग का निर्माण होगा, जबकि शुभ योग सुबह 9 बजकर 25 मिनट से लेकर अगले दिन 28 मार्च को प्रात: 5 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. इसके अतिरिक्त, शतभिषा नक्षत्र पूरे दिन विद्यमान रहेगा. रात में 12:34 बजे के बाद पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का प्रभाव होगा.

मासिक शिवरात्रि का महत्व

मासिक शिवरात्रि के अवसर पर व्रत करके भगवान शिव की आराधना करने से इच्छाएं पूरी होती हैं. शिव जी की कृपा से दुख, बीमारियाँ और दोष समाप्त होते हैं. इस दिन विशेष रूप से रात्रि के समय मंत्रों का जाप किया जाता है. आप इस दिन रुद्राभिषेक कराकर अपने कष्टों को दूर कर सकते हैं.

मासिक शिवरात्रि पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप

  • ऊं त्रिदलं त्रिगुणाकारम त्रिनेत्रम च त्रिधायुतम्. त्रिजन्म पाप संहारम एक बिल्व शिवार्पणम.
  • ऊं शिवाय नम:-ऊं सर्वात्मने नम:– ऊं त्रिनेत्राय नम:
  • ऊं हराय नम:– ऊं इन्द्रमुखाय नम:
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