Mohini Ekadashi 2025 पर इन चीजों से करें परहेज, वरना नहीं मिलेगा शुभ फल

Mohini Ekadashi 2025:मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जिसे भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार से संबंधित माना जाता है. यह विश्वास है कि इस व्रत को दृढ़ संकल्प के साथ करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. हम यहां बताने जा रहे हैं कि मोहिनी एकादशी पर किन चीजों से परहेज करना चाहिए.

By Shaurya Punj | May 3, 2025 8:10 AM
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Mohini Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का अत्यधिक महत्व है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो बार एकादशी तिथि आती है, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. वैशाख माह में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहा जाता है.

कब है मोहिनी एकादशी

हिंदू पंचांग के अनुसार, मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है. मोहिनी एकादशी का व्रत 2025 में गुरुवार, 8 मई को आयोजित किया जाएगा. यह एकादशी तिथि वर्ष की महत्वपूर्ण एकादशी में से एक मानी जाती है. भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक करने और व्रत रखने से सभी इच्छित फल प्राप्त होते हैं.

मोहिनी एकादशी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत प्रदान किया और असुरों को पराजित किया. इसलिए, यह एकादशी अत्यंत पुण्यदायी और फलदायी मानी जाती है. मोहिनी एकादशी का व्रत करने वाले भक्तों को इस दिन शुद्ध आहार और सात्त्विक जीवनशैली अपनानी चाहिए. कुछ विशेष वस्तुएं हैं जिनका सेवन इस दिन वर्जित होता है, क्योंकि वे व्रत की पवित्रता को भंग कर सकती हैं.

मोहिनी एकादशी पर किन चीजों से करें परहेज

अनाज और चावल

व्रत के दौरान अनाज और चावल का सेवन नहीं किया जाता है. इसके स्थान पर साबूदाना, फल, दूध आदि जैसे विशेष आहार का सेवन करना चाहिए.

मसूर, चना, उड़द जैसी दालें

इन भारी दालों का पाचन करना कठिन होता है और यह व्रत की मर्यादा के खिलाफ मानी जाती हैं.

लहसुन और प्याज

ये तामसिक खाद्य पदार्थ हैं, जो मन को अशांत कर सकते हैं. व्रत के दौरान सात्त्विकता का पालन करना अनिवार्य है.

मांस, मछली और अंडा

व्रत के दिन मांसाहारी भोजन पूरी तरह से निषिद्ध होता है, जो पवित्रता और धार्मिक नियमों के खिलाफ है

तली-भुनी और अधिक मसालेदार चीजें

ये पाचन को प्रभावित करती हैं और व्रत के उद्देश्य – शुद्धि और संयम – को बाधित करती हैं.

तंबाकू, शराब और नशे के अन्य पदार्थ

इनका सेवन धार्मिक दृष्टि से निषिद्ध और व्रत की भावना के विपरीत होता है.

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