– अन्न और तामसिक भोजन से परहेज
एकादशी के दिन अन्न, विशेषकर चावल का सेवन वर्जित माना गया है. गरुड़ पुराण के अनुसार, इस दिन चावल खाने से अगले जन्म में कीट योनि प्राप्त हो सकती है. साथ ही लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा जैसे तामसिक पदार्थों का त्याग अनिवार्य है. इससे व्रत की पवित्रता भंग होती है.
– क्रोध, छल-कपट और अपशब्दों का त्याग करें
धार्मिक दृष्टि से यह दिन आत्मसंयम और पवित्रता का होता है. इस दिन किसी पर क्रोध करना, झूठ बोलना, अपशब्द कहना या किसी का दिल दुखाना पाप माना जाता है. इससे पुण्य का क्षय होता है और व्रत का फल नहीं मिलता.
– नींद में दिन बिताना या आलस्य करना वर्जित है
एकादशी के दिन अधिक सोना या दिनभर सोकर समय बिताना पुण्य को नष्ट करता है. शास्त्रों में कहा गया है कि जो भक्त इस दिन रात्रि जागरण करता है, उसे सहस्त्र यज्ञों के बराबर फल प्राप्त होता है. अतः दिनभर भजन-कीर्तन में समय लगाएं.
– किसी जीव को कष्ट न दें या हिंसा से बचें
मोहिनी एकादशी जैसे पावन दिन पर किसी भी प्रकार की हिंसा जैसे मांसाहार, मछली पकड़ना, जानवरों को हानि पहुंचाना या पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाना वर्जित है. यह दिन करुणा, दया और संयम का प्रतीक है.
– व्रत का दिखावा या ढोंग न करें
धार्मिक कार्यों का प्रदर्शन या दिखावा करना निषिद्ध है. यदि व्रत सिर्फ समाज को दिखाने के लिए किया गया, तो वह निरर्थक होता है. मन, वचन और कर्म से पवित्र रहकर सच्चे भाव से व्रत करें, तभी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
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मोहिनी एकादशी केवल उपवास का दिन नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, भक्तिभाव और संयम का पर्व है. इन बातों का ध्यान रखकर यदि व्रत किया जाए, तो जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति निश्चित है.