Muharram 2025 Date: जानें इस साल मुहर्रम कब है और क्या है इसका महत्व

Muharram 2025 Date: इस्लाम धर्म में मुहर्रम का अत्यंत विशेष महत्व है. यह महीना इमाम हुसैन और उनके साथियों के बलिदान की याद दिलाता है, जिन्होंने सत्य और न्याय की रक्षा करते हुए कर्बला के मैदान में वीरगति प्राप्त की थी. विशेष रूप से शिया मुस्लिम समुदाय इस पूरे महीने को शोक के रूप में मनाता है.

By Shaurya Punj | June 23, 2025 9:21 AM
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Muharram 2025 Date: मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला और अत्यंत पवित्र महीना होता है. इसे इस्लाम धर्म के चार सबसे पवित्र महीनों में शामिल किया गया है. इस माह में युद्ध या हिंसा करना वर्जित माना गया है. मुस्लिम समुदाय के लोग इस दौरान खुदा की इबादत और नेक कामों में लिप्त रहते हैं.

मुहर्रम 2025 कब से शुरू होगा?

इस्लामी पंचांग के अनुसार, मुहर्रम 2025 की शुरुआत 26 या 27 जून की रात से मानी जा रही है, जब नया चांद नजर आएगा. चंद्र दर्शन के साथ ही इस्लामी नववर्ष की भी शुरुआत हो जाएगी. हालांकि अंतिम तिथि चांद के दिखने पर ही निर्धारित होती है.

मुहर्रम का दसवां दिन ‘आशूरा’ कहलाता है, जो इस्लाम में अत्यंत विशेष और भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. वर्ष 2025 में आशूरा 5 या 6 जुलाई को पड़ने की संभावना है. भारत में यह दिन 6 जुलाई 2025, रविवार को मनाया जाएगा, क्योंकि आमतौर पर यहां चांद एक दिन बाद दिखाई देता है.

क्यों मनाया जाता है मुहर्रम में शोक?

मुहर्रम केवल इस्लामी नए साल की शुरुआत का प्रतीक नहीं, बल्कि यह त्याग, बलिदान और सत्य के लिए संघर्ष का प्रतीक बन चुका है. इस माह को शोक का महीना माना जाता है, क्योंकि इसी दौरान इमाम हुसैन और उनके परिवार ने कर्बला की धरती पर अन्याय के विरुद्ध लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी. इस पवित्र अवसर पर लोग गहराई से उस बलिदान को याद करते हैं. कई स्थानों पर ताजिए निकाले जाते हैं, मातम किया जाता है और कर्बला की घटना का स्मरण कर श्रद्धांजलि दी जाती है. मुसलमान इस महीने को अत्यंत श्रद्धा, संवेदना और इबादत के साथ मनाते हैं, जिससे यह माह आत्मचिंतन और आध्यात्मिक समर्पण का समय बन जाता है.

मुहर्रम: भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

भारत एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक देश है, जहां हर त्योहार आपसी भाईचारे और एकता के साथ मनाया जाता है. ऐसे में मुहर्रम केवल एक धार्मिक परंपरा न रहकर भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. इस अवसर पर विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ सम्मिलित होते हैं और इसमें समान भागीदारी निभाते हैं. मुहर्रम का पर्व दुख, बलिदान और सच्चाई की मिसाल पेश करता है और यह दर्शाता है कि कैसे ये मूल्य समाज को जोड़ने और मानवीय मूल्यों को मजबूती देने का कार्य करते हैं.

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